Ram Singh Faraar

  • Format:

पूरब में मुँह सामने पहाड़ होने से सर्दियों में साढ़े नौ से पहले धूप नहीं आती। सुबह ग्यारह बजने को हैं। चटक धूप है। रजनी ने गरम कपड़े और रज़ाइयाँ जहाँ-तहाँ फैलाकर खुद को धूप के हवाले कर दिया। दिन वैसा ही है रेंगता हुआ, जैसे हफ्ते के बाक़ी दिन होते हैं कैरना में। ऊब और सुस्ती भरा। जोगी मुहल्ले में दाल-भात की गन्ध के साथ वही चिरपरिचित दुर्गन्ध फैली थी। कौन जाने, खजैले मनुष्यों की थी कि चूहों के पेशाब या कुत्ते-बिल्लियों के गू की। मुहल्ले की औरतें कहती हैं, लकड़ियाँ जलने की होगी। वे दुर्गन्ध की अभ्यस्त हो गयी हैं जो भी हो, यह हवा में थी इसलिए मुहब्बत करने वालों के बीच भी मौजूद रहती। लोग कहते हैं, यह जोगी मुहल्ले की साँसों में समा गयी है इसलिए यहाँ के लड़के-लड़कियों की मुहब्बत कामयाब नहीं होती।\n\nठण्ड से ठिठुरे लोग छत व आँगन में बैठे हैं और गुनगुनी राहत में कोई व्यवधान नहीं चाहते। हे भगवान, सूरज ढलने तक यह ऊँघ और सुस्ती बनी रहे। पीठ और पुट्ठों पर धूप की सेंक लगती रहे। रात के लिए भी हड्डियों में धूप घुसेड़ लो रे बबा।\n\nलेकिन ऐसा होता नहीं। सूरज अपनी गरमी लेकर चम्पत हुआ नहीं कि ठण्ड ने हड्डियाँ दबोचीं । यहाँ के बुड्ढे चेहरे को भी घाम तपाते हैं। मुहल्ले के किसी साठ पार बुड़ज्यू (बूढ़े) के शब्दकोश में 'टैनिंग' नहीं है। उसके साथ ‘फैनिंग' लगाकर खिल्ली उड़ाते हुए कहते हैं-हुँह, कुच्छ नहीं होता टैनिंग-फैनिंग | ख़ाली की बात हुई । क्रीम बेचनी हुई सालों को।\n\nसनस्क्रीन लोशन उनके लिए क्रीम हुई। मुँह में पोतने की हर चीज़ क्रीम। जोगी मुहल्ले के बुड्ढों को अब समझ आ रहा है कि धन्धा इस संसार की धुरी है।\n\nपुराने गानों का शौक़ीन और इश्क़ में नाकाम रजनी का भाई धूप ' में लेटा ब्ल्यूटुथ स्पीकर लगाकर गाने सुन रहा है - सब कुछ लुटा के होश में आये क्या किया...\n\n- इसी उपन्यास से

राकेश तिवारी उत्तराखंड के गरमपानी (नैनीताल) में जन्म। कुमाऊँ विश्वविद्यालय, नैनीताल से शिक्षा । उपन्यास 'फसक' के अलावा दो कहानी संग्रह 'उसने भी देखा' और 'मुकुटधारी चूहा,' एक बाल उपन्यास 'तोता उड़' और पत्रकारिता पर एक पुस्तक 'पत्रकारिता की खुरदरी जमीन' प्रकाशित। एक दौर में सारिका, धर्मयुग, रविवार, साप्ताहिक हिन्दुस्तान से लेकर हिन्दी की लगभग सभी प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में कहानियों के प्रकाशन के साथ चर्चित । बीच की लम्बी खामोशी के बाद पिछले कई वर्षों से सक्रिय कथा-लेखन । कुछेक शुरुआती कहानियों का पंजाबी, तेलुगु आदि भारतीय भाषाओं में अनुवाद। एक कहानी (तीसरा रास्ता ) पर फ़िल्म बनी है और एक कहानी (दरोग्गा जी से ना कव्यो) के नाट्य रूपान्तरण के बाद दिल्ली सहित कई शहरों में नाट्य प्रस्तुतियाँ | व्यंग्य और बाल साहित्य लेखन भी। पत्रकार के रूप में अख़बारों और पत्रिकाओं के लिए राजनीति, खेल, साहित्य, कला, फ़िल्म, पर्यावरण, जनान्दोलन और अन्य समसामयिक विषयों पर लेखन। इंडियन एक्सप्रेस समूह के राष्ट्रीय हिन्दी दैनिक 'जनसत्ता' में उप-सम्पादक, वरिष्ठ उपसम्पादक, वरिष्ठ संवाददाता, प्रमुख संवाददाता और विशेष संवाददाता के रूप में पत्रकारिता की लम्बी पारी। इस दौरान राजनीतिक और अन्य क्षेत्रों के अलावा साहित्यिक-सांस्कृतिक रिपोर्टिंग में एक अलग पहचान बनाई। शुरुआती दौर में रंगकर्म और पटकथा लेखन से थोड़ा-बहुत नाता । छिटपुट तौर पर पत्रकारिता का अध्यापन और अनुवाद कार्य। दिल्ली में निवास । सम्पर्क : rtiwari.express@gmail.com फोन : 09811807279

राकेश तिवारी

Customer questions & answers

Add a review

Login to write a review.

Related products

Subscribe to Padhega India Newsletter!

Step into a world of stories, offers, and exclusive book buzz- right in your inbox! ✨

Subscribe to our newsletter today and never miss out on the magic of books, special deals, and insider updates. Let’s keep your reading journey inspired! 🌟