रामायणदर्शनम् !\n\nयह पुस्तक अद्भुत है।\n\nविविध भारतीय भाषाओं एवं संस्कृत वांग्मय में रचित प्रमुख रामायण ग्रन्थों का एक साथ दर्शन ! जिन लुप्त रामायणों की चर्चा लेखक ने की है, उन्हें खोजने और सहेजने का कार्य प्रयासपूर्वक किया जाना चाहिए। गाँव-गाँव में जो रामलीला खेली जाती हैं उन्हें रचने वाले राधेश्याम जी की रामायण का विवेचन और परिचय तो रोमांचित कर देता है। भुशुण्डि रामायण, चम्पू रामायण जैसे दुर्लभ ग्रन्थों का परिचय और विवेचना इस ग्रन्थ की अन्यतम उपलब्धि है।\n\nरामायणदर्शनम् पुस्तक के लेखक डॉ. राजेश श्रीवास्तव मांडू में जब चतुर्भुज राम जी के दर्शन करने आये तो उनकी आँखों की विशेष चमक मैंने देखी है। यही दृष्टि उन्हें इस तरह के अभिनव पक्षों पर कार्य करने की सप्रेरणा देती है। उनके द्वारा पूर्वरचित रामायण ग्रन्थों का भी मैंने अध्ययन किया है। रामअयन और रक्षायन। दोनों ग्रन्थों को इस तीसरे ग्रन्थ से मिलाया जाये तो एक सम्पूर्णता का भाव जाग्रत होता है तथापि इस तरह की बहुत-सी पुस्तकों के प्रकाशन की उनसे अपेक्षा है।\n\nडॉ. राजेश श्रीवास्तव का अद्भुत सराहनीय प्रयास समाज और युवाओं के जीवन में आदर्श स्थापित करने का कार्य करेगा साथ ही रामकथा के जिज्ञासुओं विशेषकर शोधार्थियों को भी प्रेरित करेगा। प्रभु श्रीराम उन पर अपनी कृपा बनाये रहें। हृदय से साधुवाद ।\n\nजय श्री सीताराम !\n\n-महामण्डलेश्वर डॉ. नृसिंहदास, चतुर्भुज श्रीराम मन्दिर, मांडव (ज़िला धार)\n\n܀܀܀\n\nआश्वस्ति-\n\nकविता, कथा और समीक्षा में सक्रिय डॉ. राजेश श्रीवास्तव के अनुसंधित्सु ने एक दशक पूर्व सहसा करवट बदली और आज वह रामकथा के व्यास की जानकारी जुटाने में पूरी शक्ति से संलग्न हैं। इसके लिए उन्होंने 26 देशों की यात्राएँ कीं, अनेक संग्रहालयों के पुस्तकालय को खंगाला। रामायण केन्द्र की स्थापना कर देशभर में फैले रामकथा के विद्वानों से सम्पर्क किया, अनेक लोकप्रिय कथावाचकों की कथा सुनी, जगह-जगह होने वाली रामलीला का मंचन देखा, विश्वविद्यालयों में रामकथा पर हुए शोध का सर्वेक्षण किया और देश-विदेश में अनेक व्याख्यान दिये ।\n\nराम के वनगमन मार्ग के सर्वेक्षण में भी उनकी महती भूमिका रही। उनके संग्रहालय में 300 से भी अधिक रामायण ग्रन्थ हैं। देश-विदेश के रामायणग्रन्थ, विभिन्न भारतीय भाषाओं, जनजातियों, विभिन्न पन्थों और सम्प्रदायों में रचित रामकथाओं का अनूठा भण्डार उनकी शोधदृष्टि एवं सांस्कृतिक सम्पन्नता से अवगत कराता है। यह पुस्तक रामायणदर्शनम् उनकी इसी कर्म-साधना का परिचय है ।\n\nहर्ष का विषय है कि सर्वेक्षण और समीक्षा का यह क्रम अभी भी जारी है!\n\nरामायण केन्द्र के निदेशक डॉ. राजेश श्रीवास्तव ने इस जटिल और समयसाध्य कार्य को सारस्वत अनुष्ठान के रूप में किया है। \n\nउनका उद्यम आश्वस्त करता है ।\n\nबहुत-बहुत शुभकामनाएँ!\n\n-डॉ. देवेन्द्र दीपक,\n\nअग्रगण्य समालोचक एवं साहित्यकार पूर्व निदेशक, म.प्र. साहित्य अकादमी, भोपाल
डॉ. राजेश श्रीवास्तव - शिक्षा : एम.ए. (हिन्दी, अंग्रेज़ी, दर्शनशास्त्र), पीएच.डी., डी.लिट्. । निदेशक : रामायण केन्द्र भोपाल । राष्ट्रीय समन्वयक : ग्लोबल इन्साइक्लोपीडिया ऑफ़ रामायण, अयोध्या शोध संस्थान, उ.प्र., विश्व हिन्दी सम्मेलन, मॉरीशस 2018 में विदेश मन्त्रालय के प्रतिनिधि; विश्व हिन्दी सम्मेलन, भोपाल 2015 में अतिथि; विश्व रामायण सम्मेलन जबलपुर 2016, 2020 तथा 2023 में फेकल्टी; 26 देशों की यात्राएँ । प्रकाशन : कुल चौदह पुस्तकें प्रकाशित, तीन कहानी संग्रह, आलोचना पर आठ पुस्तकें। विश्वविद्यालयीन पाठ्यक्रम की पुस्तकों का सम्पादन तथा सौ से अधिक आलेख/शोधपत्रादि प्रकाशित । वैश्विक रामायण पर आधारित पुस्तकें : राम अयन, रक्षायन, किन्नर प्रदक्षिका, राम का दण्डक प्रवास, डायरी में रामकहानी (प्रकाशनाधीन) । सम्पादक : उर्वशी (रामायण केन्द्र की प्रतिनिधि पत्रिका) । मूलतः : प्राध्यापक, म.प्र. उच्चशिक्षा विभाग । शोध निर्देशक : बरकतउल्ला विश्वविद्यालय, भोपाल । सम्मान : पुस्तक राम अयन को म.प्र. साहित्य अकादमी पुरस्कार, 2023; रामायण भूषण सम्मान, मास्को 2019; कथासारंग सम्मान, हंगरी 2017; म.प्र. हिन्दी साहित्य सम्मेलन, भोपाल का वागीश्वरी सम्मान 2015; सृजनगाथा सम्मान, चीन 2014; जनार्दन शर्मा, सम्मान 2005 आदि अनेक राष्ट्रीय एवं अन्तरराष्ट्रीय सम्मान । सम्प्रति : डॉ. राजेश श्रीवास्तव मुख्य कार्यपालन अधिकारी, म.प्र. तीर्थस्थान एवं मेला प्राधिकरण, म.प्र. शासन, भोपाल । ई-15, 45 बंगले, भोपाल (म.प्र.) । मो. : 7974004023, ई-मेल : ramayankendra@gmail.com
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