भारत यायावर ने अस्वस्थ होते हुए भी बहुत लगन और अध्यवसाय से फणीश्वरनाथ रेणु की जीवनी लिखना शुरू किया था। इसका पहला भाग हमने रजा पुस्तक माला में प्रकाशित किया था। उनकी अद्वितीय रेणु-निष्ठा के बावजूद यह विशद जीवनी अधूरी रह गयी । जितना उन्होंने लिखा उतना हम दूसरे भाग के रूप में प्रकाशित कर रहे हैं, उनको कृतज्ञतापूर्वक याद करते हुए ।
Add a review
Login to write a review.
Customer questions & answers