कहानी का हिरामन रेणु सम्बन्धी ढेर सारी आलोचनात्मक सामग्री के बरअक्स कई मायनों में विशिष्ट है। अलबत्ता जैसा कि नाम से ही जाहिर है, इस समीक्षात्मक कृति को लेखक ने रेणु की कहानियों तक सीमित रखा है। पर इससे लाभ यह हुआ कि कहानीकार रेणु के अनूठेपन, उनकी कहानी यात्रा के विभिन्न पड़ावों, उनकी कहानियों की रचना प्रक्रिया और पृष्ठभूमि, उनके शिल्प और कथ्य आदि की विस्तार से चर्चा हो सकी है, और यह विद्यार्थियों व शोधकर्ताओं से लेकर रेणु साहित्य के रसिकों, सभी के लिए कहीं अधिक मूल्यवान साबित होगी। यह इसलिए भी जरूरी था क्योंकि रेणु सम्बन्धी समालोचना प्रायः ‘मैला आँचल’ पर सिमट जाती रही है। प्रस्तुत पुस्तक में जहाँ रेणु की कहानियों की पृष्ठभूमि तलाशते हुए उनके रचे जाने की प्रक्रिया की पड़ताल की गयी है, वहीं उनकी कहानियों की भाषा शिल्प शैली आति हरेक पक्ष
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