ऋतुराज - \nहिन्दी के यशस्वी लेखक और विचारक निर्मल कुमार की जगद्गुरु आदि शंकराचार्य के जीवन और दर्शन पर केन्द्रित बृहत् औपन्यासिक कृति । वस्तुत: मानव जीवन न केवल कथा है और न ही मात्र चिन्तन, बल्कि कथा और चिन्तन का समप्रवाह है। जहाँ इन दोनों तत्त्वों की सम्यक् समन्विति होती है, वहीं संगमतीर्थ बन जाता है। यही संगमतीर्थ मनुष्य को जीवन और मृत्यु से परे अनन्त जीवन (अमरता) की ओर ले जाने की सामर्थ्य रखता है। प्राचीन भारत की दो कालजयी कृतियों——\nरामायण और महाभारत का, तथा आधुनिक साहित्य जगत की दो रचनाओं——'युद्ध और शान्ति' (टॉलस्टॉय) और 'कारामाजोव बन्धु' (दोस्तोयवस्की) का समीक्षण करें तो हम उनमें कथा और चिन्तन का ऐसा ही समप्रवाह पाते हैं। पद्य में हों या गद्य में, सही अर्थ में ये महाकाव्य ही हैं——महाकाव्य जो सम्पूर्ण जीवन को अभिव्यक्त करता है।\nउपन्यास 'ऋतुराज' भी एक ऐसा ही महाकाव्य है। प्रशस्त जीवन के मूल्य और लक्ष्य दोनों की मार्मिक अनुभूति करा देने वाला है इसका कथातत्त्व। इसके कथाप्रवाह में कहीं जीवन की प्रधानता है तो कहीं चिन्तन की, और कहीं पर तो जीवन और चिन्तन का समन्वित रूप उद्भासित होता है।\nनिर्मल कुमार की प्रत्येक रचना में उनके अपने विचार भी अत्यन्त आलोकमय और सच्चे तत्त्व बनकर पाठक को गहराई तक छूते हैं। ऋतुराज के कथानक में भी जगह-जगह भरे पड़े हैं उनकी मौलिक दृष्टि के नमूने।\n'ऋतुराज' यानि जीवन-संघर्षों और यातनाओं के बीच मनुष्य के अन्तस में पल रहे विश्वास, सत्य, सौन्दर्य और प्रेम की अटूट गाथा। एक असाधारण रचना।
निर्मल कुमार - निर्मल कुमार का रचना संसार विशाल है। उनकी अब तक हिन्दी और अंग्रेज़ी में लगभग चालीस पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। हिन्दी की प्रमुख रचनाएँ हैं——'बिन उद्गम के स्रोत', 'अधूरे चाँद का सफ़र', 'धूप न छाँव', 'आरुणि', 'मेघवाहन', 'ऋतुराज' (उपन्यास); 'बेला तथा अन्य कहानियाँ’, 'अजीब दास्ताँ है ज़िन्दगी', 'बर्फ़ के फूल', 'कुँआरी धरती' (कहानी संग्रह); 'पंखुड़ियाँ', 'अभिसार' (काव्य); 'शरद का अन्तिम मेघ', 'सम्राट औरंगज़ेब', 'बसन्त की बरखा', ‘राजुल-नेमिनाथ’ (नाटक) के अतिरिक्त 'वर्द्धमान महावीर', 'भारतीय संस्कार', 'भारतीय स्वाधीनता का इतिहास' (विधा-विविधा) । अंग्रेज़ी में प्रमुख हैं – 'Philosophy Being of Human', 'Psychology Beyond Freud', 'The Stream of Indian Culture', 'Tao of Psychology’, ‘The Burning Sands of Sind', 'The Cloud Carrier of Kalinga', निर्मल कुमार के लेखन के सन्दर्भ में कुछेक समीक्षकों की टिप्पणियाँ: प्राणों के उद्गम से फूटती फुहार, यह उछाह, कड़वे-मीठे जीवन के सभी अनुभवों के प्रति एक सा उन्मुक्त आमन्त्रण... निश्चय ही निर्मल हिन्दी को एक विरल वरदान हैं। Nirmal Kumar has emerged as one of the greatest modern thinkers. -Times of India - जैनेन्द्र कुमार ऐसा लगता है कि प्रकृति ही उनके हाथ से क़लम लेकर लिखने लगती है। - लक्ष्मी नारायण लाल 'ऋतुराज' के रचना-कौशल के सम्बन्ध में : I do not think I could write such a book. His talent in this novel is beyond mine. -Stephen Knapp
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