प्राचीन काल से ही भारत में शिक्षा के साथ संस्कार निर्माण को महत्त्वपूर्ण स्थान प्राप्त था। कहानियों की विधा का भी हमारे सामाजिक जीवन में महत्त्वपूर्ण स्थान रहा है। वेदों, उपनिषदों, पुराणों, रामायण, महाभारत, जातक कथाओं एवं जैन कथाओं के द्वारा अनेक कहानियों को रोचक ढंग से सुनाकर विद्यार्थियों को सुसंस्कारित किया जाता था। प्रस्तुत पुस्तक में एक तिहाई कहानियों को भारत की संस्कृति और परंपरा के आधार पर संग्रहीत किया गया है। एक तिहाई कहानियों को मानवीय जीवन-मूल्यों यथा अहिंसा, करुणा, निस्स्वार्थ प्रेम, मैत्रीभाव और सेवा के आधार पर संकलित किया गया है। एक तिहाई भाग में रोचक जैन कथाओं का संकलन है। प्रत्येक कहानी में एक संदेश है, जो हमारे जीवन पर अमिट प्रभाव डालता है। अधिकांश कहानियाँ सरल और रोचक भाषा में हैं। अच्छा कर्म, अच्छा ज्ञान, अच्छा चरित्र, इंद्रिय-विजय, मन पर नियंत्रण, भावना, एकाग्रता एवं स्मरण-शक्ति जैसे सद्गुणों को जब कहानियों में गुंफित किया जाता है तो वे बहुत रोचक हो जाते हैं। मानव-मूल्यों को सर्वसुलभ बनाने के लिए प्रेरक बोधकथाओं का उत्कृष्ट संकलन। —दुलीचंद जैन|
दुलीचंद जैन जैन-दर्शन एवं जीवन-शैली के प्रख्यात लेखक हैं। उनकी प्रमुख पुस्तकें हैं—जिनवाणी के मोती, जिनवाणी के निर्झर (हिंदी एवं अंग्रेजी), Pearls of Jaina Wisdom, Universal Message of Lord Mahavira, Wisdom of Mahavira, मैं महावीर बोल रहा हूँ, Motivating Thoughts of Mahavira. उनके लेख अनेक प्रसिद्ध पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहते हैं। यूनाइटेड राइटर्स एसोसिएशन ने उन्हें ‘जीवनपर्यंत उपलब्धि पुरस्कार’ प्रदान किया है। सन् 2013 में वे विश्व जैन महापरिषद् मुंबई से सम्मानित हुए। उन्हें Federation of Jain Associations of North America ने सन् 2001 में शिकागो में आयोजित विश्व सम्मेलन में जैन धर्म पर दो व्याख्यान देने के लिए आमंत्रित किया था। वे करुणा अंतरराष्ट्रीय के चेयरमैन हैं, विवेकानंद एजुकेशनल सोसाइटी के उपाध्यक्ष, विवेकानंद एजुकेशनल ट्रस्ट के अध्यक्ष तथा विवेकानंद विद्या कला आश्रम के ट्रस्टी भी हैं। वे जैन विद्या शोध संस्थान के 14 वर्षों तक सचिव रह चुके हैं। उन्हें कई अन्य अवार्ड भी मिल चुके हैं।
Dulichand Jain ‘Sahityaratna’Add a review
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