“आग के फूलने-फलने का हुनर जानते हैं\n\nना बुझा हमको के जलने का हुनर जानते हैं \n\nहर नये रंग में ढलने का हुनर जानते हैं, \n\nलोग मौसम में बदलने का हुनर जानते हैं“\n\nइन्दौर की शायरी एक खूबसूरत कानन है, जहाँ मिठास की नदी लहराकर चलती है। विचारों का, संकल्पों का पहाड़ है जो हर अदा से टकराने का हुनर रखता है। फूलों की नाजुकता है जो हर दिल को लुभाने का हुनर रखती है और खाइयों की सी गहराई है जो हर दिल को अपने में छुपाने का हुनर रखती है। वे हर रंग की शायरी करते हैं जिसमें प्यार का, नफरत का, गुस्से का, मेल-मिलाप के रंग बिखरे पड़े है। \n\n“मेरी आँखों में कैद थी बारिश \n\nतुम ना आये तो हो गई बारिश \n\nआसमानों में ठहर गया सूरज \n\nनदियों में ठहर गई बारिश”\n\nराहत अपनी शायरी में दो तरह से मिलते हैं - एक दर्शन में और एक प्रदर्शन में। जब आप उन्हें हल्के से पढ़ते हैं तो केवल आनन्द आता है, लेकिन जब आप राहत के दर्शन में, विचारों में डूबकर पढ़ते हैं तो एक दर्शन का अहसास हो जाता है। और जब आप दिल से पढ़ते हैं तो वह आपके दिलो-दिमाग पर हावी हो जाएँगे और शायरी की मिठास में इतने खो जाएँगे कि बरबस ही शायरी आपके होंठों पर कब्जा कर लेगी और आप उसके स्वप्निल संसार में गोते लगाए बिना नहीं रह पाएँगे। \n\n“तेरी आँखों की हद से बढ़कर हूँ, \n\nदश्त मैं आग का समन्दर हूँ। \n\nकोई तो मेरी बात समझेगा, \n\nएक कतरा हूँ और समन्दर हूँ।”
राहत इन्दौरी - उर्दू के विख्यात शायर डॉ. राहत इन्दौरी का जन्म इन्दौर में 1 जनवरी 1950 को हुआ था। उन्होंने इन्दौर विश्वविद्यालय में सोलह वर्षों तक उर्दू साहित्य पढ़ाया तथा उर्दू की त्रैमासिक पत्रिका 'शाखें' का दस वर्षों तक सम्पादन किया। अबतक उनके छह कविता संग्रह प्रकाशित और समादृत हो चुके हैं। उन्होंने पचास से अधिक लोकप्रिय हिन्दी फ़िल्मों एवं म्यूज़िक एलबमों के लिए गीत-लेखन भी किया है। राहत इन्दौरी मुशायरों में भाग लेने के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा, इंग्लैंड, मॉरिशस, सऊदी अरब, पाकिस्तान, बांगलादेश, नेपाल आदि अनेक देशों की यात्रा कर चुके हैं तथा देश-विदेश के दर्जनों पुरस्कारों से सम्मानित हैं । निधन : 11 अगस्त 2020 । ई-मेल : rahatindoripost@gmail.com
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