सुखदा जैनेन्द्र कुमार का कालजयी उपन्यास है। सुखदा की यह कहानी सामने लाते हुए मेरा मन निःशंक नहीं है। ढ़ाढस यही है कि खुद इन पृष्ठों से जान पड़ता है उन्हें आशा थी कि ये कभी प्रकाश में आएँगे। -जैनेन्द्र कुमार
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सुखदा जैनेन्द्र कुमार का कालजयी उपन्यास है। सुखदा की यह कहानी सामने लाते हुए मेरा मन निःशंक नहीं है। ढ़ाढस यही है कि खुद इन पृष्ठों से जान पड़ता है उन्हें आशा थी कि ये कभी प्रकाश में आएँगे। -जैनेन्द्र कुमार
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