आपको यह जानकर ताज्जुब नहीं होना चाहिए कि दुनिया के विकसित देश अमेरिका, कनाड़ा, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, रूस, फिनलैंड में अमीर-गरीब सबों के लिए समाज विद्यालय चल रहे हैं और शिक्षकों को समान कार्य के लिए समान वेतन प्राप्त हो रहा है। \nइस आर्थिक नीति में ज्ञान के सृजन, सम्प्रेषण और वितरण पर भी बाजार का कब्जा हो गया है। विद्यालयों में नौनिहालों के भविष्य के साथ संसद में बैठे नीति नियन्ता खिलवाड़ कर रहे हैं। नौकरशाही, राजनेता के चक्रव्यूह में अभिमन्यु का रोज वध किया जा रहा है। सत्ता में बैठे धृतराष्ट्र शिक्षा रूपी द्रौपदी का चीरहरण टुकुर-टुकुर देख रहे हैं। काले धन की समानान्तर अर्थव्यवस्था चलाने वाले मुनाफाखोर अब सरस्वती को शीश महल में कैद कर रहे हैं।
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