संबोधन के सोपान विश्व के प्रतिष्ठित उद्योगपतियों में एक जे.आर.डी. टाटा नागरिक उड्डयन से लेकर परमाणु ऊर्जा तक की भारतीय प्रगति में अग्रणी भूमिका निभानेवाले और भारत को इन दोनों क्षेत्रों में आत्मनिर्भर एवं संपन्न बनानेवाले महान् व्यक्तित्व थे। वे लगभग चार दशकों तक टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी के चेयरमैन रहे और इस्पात उद्योग से अत्यंत निकटता से जुड़े रहे। उन्होंने देश में सौंदर्य-प्रसाधन, रसायन और इलेक्ट्रॉनिक्स से लेकर जेनेटिक्स तक सभी क्षेत्रों में विकास कार्यों पर बल दिया। प्रस्तुत पुस्तक में पचास वर्षों से भी अधिक कालखंड में उनके द्वारा दिए गए वक्तव्यों और व्याख्यानों के महत्त्वपूर्ण अंशों को संगृहीत किया गया है। इसमें जे.आर.डी. ने अपने जीवन की महत्त्वपूर्ण घटनाओं का ब्योरा प्रस्तुत किया है और आर्थिक मामलों, उद्योग, नियोजन एवं मानवीय संबंधों, जनसंख्या-विस्फोट और शासन की राष्ट्रपतीय प्रणाली जैसे विभिन्न विषयों पर अपने विचार प्रस्तुत किए हैं। साथ ही इक्कीसवीं शताब्दी की संभावित राजनीतिक-सामाजिक स्थिति पर अपनी चिंतनपरक दृष्टि भी डाली है।
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