जहाँ से चले थे वहीं आ गये हम, चले उम्र भर फ़ासले हुए न कम-यही है समीर की पूरी यात्रा। एक गीतकार के आईने में अगर समीर को उतारा जाये तो उनकी तस्वीर पानी की साफ़ नज़र आती है। किसी ने सच कहा है, पानी रे पानी तेरा रंग कैसा जिसमें मिला दो लगे उस जैसा। कविता के सारे रंगों में समीर ने अपने आपको ढाला है, जो जिया है वही लिखा है, जो देखा है वही महसूस किया है, आसान शब्दों में बड़ी बात कहना आसान नहीं होता। उदाहरण के तौर पर, धूप और छाँव की लड़ाई है, ज़िन्दगी अब समझ में आयी है। समीर के अन्दर प्यार का एक जीता-जागता समन्दर है, दर्द का एक चलता-फिरता रेगिस्तान है, हौसलों का एक अनन्त आसमान है, और सपनों की एक जगमगाती दुनिया है, इन सबकी बेचैनी को लेके समीर का कवि-मन अपनी खोज में भटकता रहता है। समीर की कविताओं में शब्दों से ज़्यादा भावनाओं को अहमियत दी गयी है।
मुझे गर्व है कि मैं स्व. अनजान का बेटा हूँ जिन्होंने 275 से ज़्यादा फ़िल्मों में गाने लिखे- फ़िल्म 'साजन' 1991 में गानों के लिए निम्नलिखित अवार्ड प्राप्त किये: 1. जिम्मी अवार्ड मॉरिशस गवर्नमेंट 2. संडे ऑब्जर्वर स्क्रीन अवार्ड 3. आशीर्वाद अवार्ड 4. लायन्स क्लब अवार्ड फ़िल्मफेयर अवार्ड–फॉर बेस्ट लिरिक्स अवार्ड सन् 1991, 1993 और 1994 । शहीद भगत सिंह अवार्ड-सन् 2002 में स्व. मा. प्रधानमन्त्री नरसिम्हा राव द्वारा मेरे गीतों के देशभक्ति और राष्ट्रीय एकता और सौहार्द फैलाने के लिए दिया गया। हिन्दी उर्दू साहित्य अकादमी अवार्ड सन् 2002 और 2013। वी शान्ताराम ललित कला हिन्दी विशिष्ट सेवा पुरस्कार 2008-2009। सुरभि (रतलाम) सन् 2005 । दुशायम कुमार सम्मान। मालवा हिन्दी सम्मान। दो अटल गीत सन्ध्या में भाग लिया। डॉक्टर एंथम के लेखक। बेटी बचाव गीत लिखा। 35 वर्ष का फ़िल्मी दुनिया का अनुभव। 40 से ज़्यादा प्राइवेट एलबम के गीत लिखे। गिनीज़ बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड।
समीर 'अनजान'Add a review
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