**समकालीन पाश्चात्य दर्शन: कंटेम्परेरी वेस्टर्न फिलॉसफी** डॉ. बी. के. लाल द्वारा लिखित एक महत्वपूर्ण पुस्तक है, जो समकालीन पाश्चात्य दर्शन के प्रमुख विचारों और प्रवृत्तियों का व्यापक परिचय कराती है। यह पुस्तक आधुनिक दर्शन की जटिलताओं और उनके ऐतिहासिक तथा बौद्धिक संदर्भों को समझने में सहायक है। \n\nइस पुस्तक में बीसवीं सदी के पाश्चात्य दर्शन के विभिन्न सिद्धांतों और उनके प्रवर्तकों को सरल और स्पष्ट भाषा में प्रस्तुत किया गया है। लेखक ने दर्शन के प्रमुख आंदोलनों, जैसे अस्तित्ववाद, संरचनावाद, उत्तर-संरचनावाद, फिनोमेनोलॉजी, और विश्लेषणात्मक दर्शन का गहन विश्लेषण किया है। साथ ही, प्लेटो, कांट, हीडगर, सार्त्र, रसेल, और विट्गेंश्टाइन जैसे महान दार्शनिकों के विचारों की समीक्षा भी की गई है। \n\nपुस्तक का उद्देश्य केवल दार्शनिक विचारधाराओं का परिचय देना नहीं है, बल्कि इन विचारों के सामाजिक, नैतिक, और बौद्धिक प्रभावों को भी उजागर करना है। यह पुस्तक छात्रों, शोधकर्ताओं, और दर्शन के सामान्य पाठकों के लिए समान रूप से उपयोगी है। \n\nडॉ. बी. के. लाल की यह कृति दार्शनिक दृष्टिकोण के प्रति जिज्ञासा और समझ विकसित करने में मददगार है और समकालीन पाश्चात्य दर्शन के क्षेत्र में एक अनमोल योगदान है।
Add a review
Login to write a review.
Customer questions & answers