साम्यवाद की एक विशेषता रही है। साम्यवादियों ने समाज में पूर्ण समानता लाने के उद्देश्य से प्रेरित होकर समाज व्यवस्था की पुनर्रचना का सपना देखा है, उसे कर दिखाने का यदा-कदा यत्न भी किया है। उनकी नजरों में पूर्ण समानता का अर्थ है कि सभी की जीवन-दशा समान हो जिससे कि सभी समान रूप से विकास के लाभों का रसास्वादन कर सकें। परन्तु साम्यवाद कभी सपफल नहीं हो पाया है। उनकी असपफलता का मूल कारण है मानव प्रवाकृति और समाज की वे दुर्दान्त परिपाटियाँ जो साम्यवाद के रास्ते विरोध् की उफँची दीवार खड़ी कर देती हैं। इन विरोधें, का शमन करने में, उन पर विजय पाने में साम्यवाद अतिनिर्बल सि( हुआ है। इन विरोधें, का शमन करने में, उन पर विजय पाने में साम्यवाद अतिनिर्बल सि( हुआ है। इन विरोधों, बाधओं में सबसे मुख्य बाध उत्पन्न होती है उन आपातिक तत्वों से जिनका सम्बन्ध् नैसर्गिक और संस्कृति-जन्य विषमताओं से है।
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