मंटो एक कहानीकार ही नहीं बल्कि एक क्रांतिकारी हैं जो समय से लड़ता है और व्यवस्था कि कनपटी पकड़ कर उसे एक कदम आगे धकेल देता है। मंटो ने जो लिखा वो उनकी तरह साहित्य में अमर हो गया। यह किताब आज़ादी के वक़्त कि त्रासदी कि कहानी पाठकों को चुभते हुए सवालों के साथ सुनाती है जिसमे अंग्रेजों कि दमनकारी नीति कि मंटो खुल कर आलोचना करते हैं। इस छोटी- सी किताब में कुल नौ कहानियां संकलित हैं जो अलग-अलग कलेवर कि होते हुए भी पाठक को भटकने नही देती बल्कि उससे और ज्यादा जाकरुक बनाती हैं।
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