Sanatan Samvad Katha

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इसी पुस्तक से: जन और जानवर में केवल मन का भेद है। संख्या बल के आधार पर मूढ़ ही युद्ध शक्ति का मिथ्या दंभ करते हैं। परिस्थितियों के सापेक्ष नायकत्व का मूल्यांकन नहीं होता। शाप की शक्ति तपस्या से प्राप्त होती है, काम–आखेट से नहीं। मर्यादा शाप के आघात का कवच है। राजनीति का सत्य यह है कि यह न सद्भावनाओं से संचालित होती है न ही प्रार्थनाओं का इसमें कोई मोल है। “सनातन: संवाद कथाएं” में विश्व भूषण ने “सभ्यताओं के अस्तित्व संघर्ष में सनातन सभ्यता समस्त विलुप्त एवं जीवित सभ्यताओं के उत्थान पतन की साक्षी रहते हुए सदा से जीवंत कैसे है?” इस प्रश्न का रहस्य शास्त्रोक्त परंपरा के तर्कपूर्ण परिशीलन से “संवाद कथा” शैली में प्रस्तुत किया है।

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