निबंध लिखते हुए संकोच, भय और लज्जा त्याग देनी चाहिए। झिझकने तथा डरने से निबंध अच्छा नहीं बन पड़ता। निबंध-लेखक से यह आशा कोई नहीं करता कि वह जिस विषय पर निबंध लिख रहा है, उसके विषय में वह संपूर्ण तथ्यों को जानता ही हो। उससे तो केवल इतनी ही अपेक्षा की जाती है कि वह प्रस्तुत विषय के बारे में जो कुछ भी जानता है, उसे बिना छिपाये, संक्षेप में और सरलता से प्रकट कर दे। निबंध तो वास्तव में शुद्ध हृदय की विचार-तरंग ही है।.
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