राम और रामकथा हमारी भारतीय संस्कृति के प्राण हैं। इनका जितना ही अधिक प्रचार-प्रसार बाल वर्ग में हो, अच्छा है। राम के जीवन से संबंध रखनेवाली ऐसी पुस्तकें इनी-गिनी ही हैं, जो बालक-बालिकाओं की सरल बुद्धि में आसानी से आ जाएँ। इसलिए जो बालक गोस्वामीजी की मूल अवधी भाषा से अपरिचित हैं, किंतु राष्ट्रभाषा के प्रेमी हैं, वे भी इससे लाभ उठा सकते हैं। यह सरल रामायण सभी वर्ग के बाल एवं प्रौढ़ पाठकों को रुचिकर लगेगी, इसी विश्वास के साथ। —शंकर बाम.
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