Sarhad

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सरहद - \nसरहद सिर्फ़ भौतिक उपस्थिति नहीं। वह राजनैतिक आकांक्षाओं से निर्मित इतिहास है। राजनीतिज्ञों के अपने तर्क हैं और अनीतिगत महत्त्वाकांक्षा का उनका अपना पहुँच मार्ग। असहमतियों को तर्कों के आधार पर जीवित रखने के स्वांग का नाम है सरहद। सरहद का अर्थ सरहद का जीवन और समाज मात्र नहीं। उसके आर-पार के देश के भीतर का जीवन, समाज भी है। कहा जा रहा है कि विकास के नाम पर लिये जा रहे क़र्ज़ की मोटी पूँजी हथियारों के ख़रीद में जा रही है या फिर अलगाववादियों को पालने-पोसने में। सरहद का सम्बन्ध तेल, अस्त्र-शस्त्र, परमाणु हथियार, ड्रग माफ़िया, तस्कर और ज़ेहादियों आदि से गहरे तक जुड़ा है शान्ति के स्वप्न को छिन्न-भिन्न करता। दिलचस्प है इस सरहदी तनाव को लेकर राजनैतिक पार्टियाँ चुप हैं। उनके घोषित एजेंडे में यह विषय विदेश नीति की दृष्टि से भी अनुपस्थित है। महाप्रभुओं के प्रभुत्व में सरहदों पर जो इबारतें आज लिखी जा रही हैं उनका अर्थ कहीं तीसरे महायुद्ध में न खुले। यह आज की बड़ी चिन्ता है। रचनाकारों का आशय इससे भिन्न हो ही नहीं सकता। उनके लिखे में बेहतर दुनिया के स्वप्न थे, हैं और रहेंगे।

लीलाधर मंडलोई - जन्म: जन्माष्टमी। सही तिथि व साल अज्ञात। शिक्षा: बी.ए., बी.एड. (अंग्रेज़ी) पत्रकारिता में स्नातक। एम.ए. (हिन्दी)। प्रसारण में उच्च शिक्षा—सी.आर.टी. लन्दन से। पदभार: दूरदर्शन, आकाशवाणी के महानिदेशक सहित कई राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय समितियों के साथ ही प्रसार भारती बोर्ड के सदस्य। कृतियाँ: घर-घर घूमा, रात बिरात, मगर एक आवाज़, काल बाँका तिरछा, क्षमायाचना, लिखे में दुक्ख, एक बहुत कोमल तान, महज शरीर नहीं पहन रखा था उसने, उपस्थित है समुद्र (हिन्दी व रूसी में) (कविता संग्रह)। देखा-अदेखा, कवि ने कहा, हत्यारे उतर चुके हैं क्षीर सागर में, प्रतिनिधि कविताएँ 21वीं सदी के लिए पचास कविताएँ (कविता चयन)। कविता का तिर्यक (आलोचना)। अर्थजल, दिल का क़िस्सा (निबन्ध)। दाना-पानी (डायरी)। काला पानी (यात्रा वृत्तान्त)। बुन्देली लोकगीतों की किताब, अंदमान निकोबार की लोककथाओं की दो किताबें— पेड़ भी चलते हैं, चाँद का धब्बा (बाल साहित्य)। सम्पादन: केदारनाथ सिंह संचयन, कविता के सौ बरस, स्त्रीमुक्ति का स्वप्न, कवि एकादश, रचना समय, समय की कविता आदि। अनुवाद: पानियों पे नाम (शकेब ज़लाली की ग़ज़लों का लिप्यंतरण मंजूर एहतेशाम के साथ)। माँ की मीठी आवाज़ (अनातोली परम्परा की रूसी कविताएँ, अनिल जनविजय के साथ)। फ़िल्म: कई रचनाकारों पर डाक्यूमेंट्री निर्माण, निर्देशन तथा पटकथा लेखन। कुछ धारावाहिकों में कार्यकारी निर्माता तथा संगीत व साहित्य के ऑडियो-वीडियो सीडी, वीसीडी के निर्माण में सक्रिय भूमिका।

लीलाधर मंडलोई

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