Shaurya Gathayen : Indian Military Bravery Story in Hindi

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उस त्याग और बलिदान का जीवंत दस्तावेज है, जिसको पढ़ना हर स्वतंत्रचेता और देश के प्रति निष्ठा रखनेवाले नागरिक को और जागरूक करेगा। बलिदान की जो आग ठंडी पड़ चुकी है, उसको प्रज्वलित करेगा। देश माटी का एक टुकड़ा नहीं, बल्कि उस माँ का कलेजा है, जिसने झंझावातों को झेलकर संतान को पाला है। आजादी प्राप्त करने में उतने बलिदान नहीं करने पड़ते, जितने उसकी रक्षा के लिए करने होते हैं। अगर किसी देश को शांतिपूर्वक रहना है तो उसकी सीमाएँ सुरक्षित रहनी चाहिए। सीमाएँ सुरक्षित रखनी हैं, तो देश का आंतरिक अनुशासन बहुत जरूरी है। अराजकता का पोषण करके आजादी केवल खतरे में डाली जा सकती है। अभी जागने का समय है, अराजक और राष्ट्रविरोधी शक्तियों को कुचलने का समय है। हमें अराजकता और आजादी के बीच विभाजन रेखा तय करनी होगी। हमारे सैनिक सीमा पर बलिदान देते रहें और राष्ट्रविरोधी ताकतें देश के भीतर पलती रहें, देश को खंडित करने में लगी रहें, यह जनहित में कदापि नहीं है। आशा है, हमारी सेना के वीर, जाँबाज, शहीद हुतात्माओं के इन प्रेरक प्रसंगों को पढ़कर नई पीढ़ी भारत माँ की रक्षा और देश की अं

जम्मू में जनमी शशि पाधा का बचपन साहित्य एवं संगीत के मिले-जुले वातावरण में व्यतीत हुआ। इन्होंने जम्मू-कश्मीर विश्वविद्यालय से एम.ए. (हिंदी), एम.ए. (संस्कृत) तथा बी.एड. की शिक्षा ग्रहण की। वर्ष 1968 में इन्हें जम्मू विश्वविद्यालय से ‘ऑल राउंड बेस्ट वीमेन ग्रेजुएट’ के पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वर्ष 1967 में यह सितार वादन प्रतियोगिता में राज्य के प्रथम पुरस्कार से सम्मानित हुईं। यू.एस.ए. आने के बाद इन्होंने नॉर्थ केरोलिना राज्य के चैपल हिल विश्व-विद्यालय में हिंदी भाषा का अध्यापन कार्य किया। शशिजी के तीन काव्य-संग्रह ‘पहली किरण’, ‘मानस मंथन’ तथा ‘अनंत की ओर’ प्रकाशित हो चुके हैं। वर्ष 2015 में इन्हें काव्य-संग्रह ‘अनंत की ओर’ के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया। कविता के साथ-साथ यह साहित्य की अन्य विधाओं में भी लिखती हैं। इनकी रचनाएँ देश एवं विदेश की मुख्य पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं। इनके सहयोगी संकलन हैं—कविता अनवरत, लघुकथा अनवरत, पीर भरा दरिया (माहिया संग्रह), अलसाई चाँदनी (सेदोका संग्रह) एवं यादों के पाखी (हाइकु संग्रह)। संप्रति वे अपने परिवार सहित अमेरिका के वर्जीनिया राज्य में रहते हुए साहित्य-सेवा में संलग्न हैं|

शशि पाधा

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