हिन्दी में ऐसे आख्यान गिने-चुने ही होंगे जिन्हें हम किसी साहसिक अभियान की कथा कह सकें। इस लिहाज से कुंदन जगदीश साहू की यह कृति खासी उल्लेखनीय है। काफी पठनीय भी। लेखक के मुताबिक शिवलिंग कॉलिंग की कहानी उन्होंने मूल रूप में उत्तराखण्ड में एक होटल के एक रूमबॉय से सुनी थी जिसमें काल्पनिक अंश जोड़कर उन्होंने यह वृत्तान्त रचा। रूमबॉय वाली बात क्या पता कथा कहने का बहाना भी हो सकती है। जो हो, यह रचना लेखक की अपनी कल्पनाशीलता और रचनात्मक उद्यम की देन है। लेखक ने खुद कहा है, इसमें जिस साहसिक अभियान का वर्णन है वह पूरी तरह काल्पनिक है।
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