शेर-ओ-सुखन - शेर-ओ-सुखन के पाँच भागों में प्रारम्भ से 1954 तक की ग़ज़ल का इतिहास, प्रतिष्ठित ग़ज़ल-गो शायरों के परिचय और उनकी श्रेष्ठतम ग़ज़लें संकलित हैं। पहला भाग : सन् 1900 तक की उर्दू-शायरी का प्रामाणिक इतिहास, विवेचन और इस अवधि के प्रायः सभी ग़ज़ल-गो शायरों की श्रेष्ठ गज़लों का संकलन और परिचय। दूसरा भाग : उस्ताद-शायरों के मशहूर उत्तराधिकारी-आधुनिक लखनवी शायरों का जीवन-परिचय, साहित्यिक विवेचन और उनकी बेहतरीन ग़ज़लों का संग्रह। तीसरा भाग : देहलवी रंग के प्रतिष्ठित शायरों का परिचय और उनकी श्रेष्ठतम ग़ज़लों का संकलन । चौथा भाग : मिर्ज़ा 'दाग' के मुख्य-मुख्य शिष्यों तथा ख्यातिप्राप्त बुजुर्ग शायरों का जीवन-परिचय और उनकी सर्वश्रेष्ठ ग़ज़लें । पाँचवाँ भाग : प्राचीन और वर्तमान ग़ज़लगोई पर तुलनात्मक अध्ययन के साथ ही गुलो-बुलबुल, साक़ी-ओ-मैखाना, हुस्न और इश्क़ तथा अन्य कई विषयों पर चुनिन्दा ग़ज़लों का संग्रह । उर्दू साहित्य के मर्मज्ञ विद्वान् श्री अयोध्याप्रसाद गोयलीय द्वारा तैयार किये गये इस अनूठे संग्रह को पढ़ना काव्यप्रेमी पाठकों के लिए निस्सन्देह एक बड़ी उपलब्धि होगी।
अयोध्या प्रसाद गोयलीय - जन्म : दिसम्बर 1902 में बादशाहपुर, गुड़गाँव, हरियाणा में। प्रारम्भिक शिक्षा-दीक्षा कोसी-कलाँ मथुरा (ननिहाल) में । तत्पश्चात् चौरासी-मथुरा में उच्च शिक्षा के दौरान न्याय, व्याकरण और काव्य का अध्ययन। 1919 में रौलट ऐक्ट-आन्दोलन से प्रभावित और विद्यालय परित्याग । 1920 से 1940 तक दिल्ली में निवास और व्यापार, उसी अवधि में उर्दू-साहित्य और इतिहास का गम्भीर अध्ययन । 1930 के नमक सत्याग्रह में भागीदारी के लिए सवा दो वर्ष का 'सी-क्लास' कारावास । 1941 से 1968 तक डालमियानगर में साहू-जैन-समवाय के श्रम-कल्याण अधिकारी रहते हुए उर्दू-शाइरी को हिन्दी में लाने के लिए सतत सक्रिय रहे। 1975 में सहारनपुर (उ.प्र.) में देहावसान । प्रमुख कृतियाँ : शेर-ओ-शायरी, शेर-ओ-सुखन (5 भाग), शाइरी के नये दौर (5 भाग), शाइरी के नये मोड़ (5 भाग), नग्मए-हरम, गहरे पानी पैठ, जिन खोजा तिन पाइयाँ आदि ।
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