सुदर्शन हिन्दी के एक ऐसे साहित्यकार थे जिन्हें कहानी कहने की कला बखूबी आती थी। उनकी हर कहानी का विषय इन्सानियत से जुड़ा हुआ, भाषा सहज और प्रवाहपूर्ण, और कहानी का ताना-बाना बुनने का तरीका ऐसा कि पाठक शुरू से आखिर तक बँधा रहे। उनके अनेक कहानी-संग्रह प्रकाशित हुए। जिनमें तीर्थयात्रा, पत्थरों का सौदागर, अठन्नी का चोर, साइकिल की सवारी उल्लेखनीय हैं। सुदर्शन की कलम केवल कहानियों तक ही सीमित नहीं थी, उन्होंने उपन्यास, प्रहसन, फिल्म-पटकथा और गीत भी लिखे। उन्होंने एक फिल्म का निर्देशन भी किया। \nपुस्तक सुदर्शन की श्रेष्ठ कहानियाँ तेरह कहानियों का संग्रह है। जिनमें ‘बैजू बावरा’, ‘हार की जीत’ जैसी यादगार और कालजयी कहानियाँ सम्मिलित हैं।
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