क्या यह सच है कि सारे संसार मेंविवाह नाम की संस्था अंदर सेबिल्कुल टूट चुकी है? \nक्या आनेवालेकल मेंस्त्री और पुरुष के संबंध इस बंधन सेमुक्त होकर ही विकसित होंगे? \nकल की बात तो कल सामनेआएगी, परन्तुआज की जो भी वास्तविकता है, है उसका \nचित्रण आपको विख्यात आधुनिक कथाकार श्री मोहन राकेश की इन कहानियों में \nमिलेगा। \nआज का विवाहित जीवन जी रही नारी की विडंबडं नाओं, मानसिक हलचलों और विभिन्न \nस्तरों पर उसके संर्घ्ष की कुछ गहन और आत्मीय तसवीरें हैं येकहानियॉं। येउन \nसुहागिनों की कहनिया ँहैं जिनकी ज़िंदगी आज के संर्द्भ मेंएक प्रश्न चिह्न बनती जा \nरही है। है यह एक नवीन जीवन की झाँकी प्रस्तुत करनेवाली कथा-कृति है, है जिसमेंर्व्तमा न \nसमय के सामाजिक जीवन की जीवंत झलक के दर्शन होतेहैं। हैं इन कहानियों के पात्रों के \nमनोभावों का सूक्ष्म विश्लेषण पाठकों पर अपना गहरा प्रभाव छोड़ जातेहैं।हैं
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