स्वच्छ भारत - \nगाँधी जी का कहना था कि 'जब तक हम बाहरी स्वच्छता नहीं अपनाते, भीतरी स्वच्छता की कल्पना तक नहीं की जा सकती। और बाहरी स्वच्छता आचरण में आते ही भीतरी स्वच्छता स्वतः आ जाती है।'\nप्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने वर्ष 2014 के स्वाधीनता दिवस के अवसर पर ऐतिहासिक लाल क़िले के प्राचीर से खुले में शौच को बन्द करने और गाँव देहात में शौचालय हेतु लोगों में जागरुकता फैलाने का आह्वान किया था। उन्होंने अक्टूबर 2014 में गाँधी जयन्ती के दिन स्वच्छ भारत अभियान की विधिवत शुरुआत की। यह अभियान 2019 में महात्मा गाँधी की 150वीं जयन्ती तक पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित है।\nयह पुस्तक स्वच्छता का महत्त्व व उसकी वर्तमान परिस्थिति में उपयोगिता को बताते हुए पाठकों को स्वच्छता के प्रति जागरुक करती है। स्वच्छ भारत की परिकल्पना तभी सम्भव होगी जब हम इसकी शुरुआत छोटे क़दम से करें।\nभारत को स्वच्छ बनाना हर भारतीय का दायित्व ही नहीं कर्तव्य भी है। हमें एक होकर देश की स्वच्छता और पर्यावरण की सुरक्षा के लिए प्रयास करने की प्रेरणा देती इस पुस्तक का स्वागत करना चाहिए।
महेश्वर - जमशेदपुर, झारखण्ड में जन्म व राँची विश्वविद्यालय से वाणिज्य स्नातक। दिल्ली विश्वविद्यालय से चेक भाषा व साहित्य का अध्ययन। जामिया मिल्लिया इस्लामिया से एम.ए. और जे.एन.यू. से चेक साहित्य पर एम.फिल. व पीएच.डी. की उपाधि। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से जनसंचार एवं पत्रकारिता में एम.ए.। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में अनुवाद व आलेख प्रकाशित। भाषाई 'अस्मिता और हिन्दी का वैश्विक सन्दर्भ', 'हिन्दी सिनेमा बिम्ब प्रतिबिम्ब', 'सरहद' और 'पास-पड़ोस' में आलेख संकलित। शैक्षिक प्रकाशक 'मधुबन' की सी.बी.एस.ई. पाठ्यक्रम के अन्तर्गत कक्षा आठवीं की पूरक पाठ्यपुस्तक में बाल सिनेमा पर आलेख शामिल। पुस्तक 'बाल साहित्य उपलब्धि और सम्भावना' का सम्पादन। 'लोकायत', 'सबलोग', 'संवेद', 'शोध समवाय' और 'अनन्तर' के सम्पादन से सम्बद्ध। पत्रिका 'नया ज्ञानोदय' में सम्पादकीय सहयोगी। दैनिक पॉयोनियर, जनसन्देश टाइम्स, कल्पतरु एक्सप्रेस में लम्बे समय तक सिनेमा पर स्तम्भ लेखन। 'साहित्य सिनेमा सेतु सम्मान' और 'चाणक्य वार्ता विशिष्ट योगदान सम्मान' सहित कई पुरस्कार प्राप्त। ‘कविता का उदात्त स्वर : कुँवर नारायण', 'मैं भी मुँह में ज़ुबान रखता हूँ : मैनेजर पांडेय' और 'शब्द वैभव' (मैथिलीशरण गुप्त, माखनलाल चतुर्वेदी और वियोगी हरि के स्वर में उनकी कविताओं पर आधारित) वृत्तचित्र का निर्माण। दूरदर्शन के कार्यक्रम 'चले आओ चक्रधर चमन में' व स्वतन्त्रता दिवस की कमेंट्री हेतु शोध। आकाशवाणी जमशेदपुर से कविताएँ प्रसारित।
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