स्वामी - \n'स्वामी' मराठी के प्रसिद्ध उपन्यासकार श्री रणजित देसाई की एक श्रेष्ठ कृति है। इस ऐतिहासिक उपन्यास के नायक हैं बाजीराव पेशवा के पौत्र थोरले माधवराव। पेशवा के रूप में उन्हें भाग्य ने केवल सत्ताईस वर्ष का जीवनकाल दिया किन्तु वे अपने जीवन और कृतित्व से इस अल्पकाल को इतिहास में अमरत्व दे गये।\nयह उपन्यास मराठी में इतना लोकप्रिय हुआ कि इसके अनेक संस्करण प्रकाशित हो चुके हैं। साहित्य अकादेमी से पुरस्कृत इस कृति ने निश्चय ही हिन्दी पाठकों को बहुत आकर्षित किया है। विशेषकर, नैतिक मूल्यों के ह्रास के इस युग में इतिहास की यह कथा अजस्र प्रेरणास्रोत बनी है।\n'स्वामी' का सुस्पष्ट एवं मुग्धकर शैली में किया गया हिन्दी का यह रूपान्तर, अपनी नयी साज-सज्जा के साथ पाठकों को समर्पित है।
रणजित देसाई - 8 अप्रैल, 1928 को कोबाद ग्राम, ज़िला कोल्हापुर (महाराष्ट्र) में जन्म। श्री देसाई चिन्तन-मनन और लेखन के साथ-साथ आजीवन कृषि-कर्म में रत रहे। वे 1965 में बड़ौदा मराठी वाङ्मय परिषद् के, 1972 में साहित्य सम्मेलन, कल्याण के तथा 1977 में मुम्बई महानगर मराठी साहित्य सम्मेलन, गोरेगाँव के अध्यक्ष रहे। रणजित देसाई की लगभग दो दर्जन कृतियाँ प्रकाशित हो चुकी हैं। इनमें 5 उपन्यास, 6 कहानी-संग्रह, 2 चित्रपट-कथा और 10 नाटक हैं। 'माँझा गाँव', 'स्वामी', 'श्रीमान् योगी' और 'राधेय' (उपन्यास); 'कणव', 'कातल' (कथा संग्रह) तथा 'तानसेन', 'कांचनमृग', 'रामशास्त्री' और 'स्वामी' (नाटक) उनकी उल्लेखनीय कृतियाँ हैं। 'स्वामी' उपन्यास के लिए महाराष्ट्र राज्य एवं हरिनारायण आपटे पुरस्कार तथा साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित श्री देसाई 1973 में 'पद्मश्री' की उपाधि से अलंकृत हुए।
रंजीत देसाई अनुवाद ओम शिवराजAdd a review
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