Swarkokila Lata Mangeshkar

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स्वर सामाज्ञी, स्वरकोकिला, नाइटिंगेल ऑफ इंडिया और संगीत की देवी के रूप में प्रसिद्ध लता मंगेशकर की आवाज का पूरी दुनिया में कोई सानी नहीं। देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'भारत रत्न' से अलंकृत लता मंगेशकर की आवाज में भारत का दिल धड़कता है। विदाई गीत हो या ममता भरी लोरी, मंगल वेला हो या मातमी खामोशी, उन्होंने हर भावना को अपने सुरों में ढालकर लोगों के मन की गहराईयों को छुआ है। उनकी आवाज में माँ की ममता, नवयौवना की चंचलता, प्रेम की मादकता, विरह को टीस, बाल-सुलभ निश्छलता, भक्त की प्रुकार और स्त्री के तमाम रुपों के दर्शन होते हैं।\n\nजीते जी किंवदंती बन चुकी लता मंगेशकर ने 36 भाषाओं में 30,000 से अधिक जीत गाए हैं। उनका यह जलवा मधुबाला, नर्गिस से लेकर जीनत अमान, काजोल और माधुरी दीक्षित तक बरकरार रहा। उन्होंने शास्त्रीय, सुगम, भजन, गजल, पॉप-सभी प्रकार के गायन में अपने सुरों का लोहा मनवाया। उनकी आवाज की यह खूबी है कि वे सुरों के तीनों सप्तकों-मंद्र, मध्य और तार में बड़ी सहजता से गा लेती हैं। उनकी लोकप्रियता देश की सीमा लाँघ विदेश तक भी जा पहुँची है। इसका कारण यह है कि वे जो भी गाती हैं, दिल से गाती हैं हर गीत में वे ऐसी आत्मा भर देती हैं, जो सीधे दिल में उतर जाता है। एक वाक्य में कहें तो-भारत के लिए ईश्वर का वरदान हैं लता मंगेशकर।\n\nइस पुस्तक में स्वरकोकिला लता मंगेशकर की संगीतमय जीवन-यात्रा का वर्णन है, जिसमें अथक संघर्ष है और सफलता के शिखर तक पहुँचने की कहानी भी। रोचक शैली में लिखी गई यह जीवन-जाथा पठनीय तो है ही, प्रेरणा देनेवाली भी है।

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