यह पुस्तक दुनिया की सबसे खूनी युद्धों के बारे में एक पूर्वाग्रह रहित अंदरूनी दृष्टिकोण है।\n\nसन 700 तक, भारत विज्ञान, खगोल विज्ञान, साहित्य और वास्तुकला में शानदार प्रगति करते हुए सुनहरे दौर से गुजर रहा था और पूरी दुनिया भारत की ओर देख रही थी।\n\nफिर शुरू हुआ हंगामा। पहले अरबों ने और फिर तुर्कों ने आक्रमण किया। उसके बाद अफगान आए। फिर कोई और। भारत से धन लूटने के लिए वस्तुतः होड़ मच गई थी। ऐसा नहीं था कि भारत पर पहले हमला नहीं हुआ था। सेमीरामी से लेकर डेरियस तक, सिकंदर से लेकर कुषाणों से लेकर हूणों तक, सभी ने आक्रमण किया, लेकिन अंत में वे भारत के विशाल हृदय में आत्मसात हो गए। लेकिन मुस्लिम हमले अलग थे, जिसके लिए भारत बिल्कुल भी तैयार नहीं था। ये वो हमले थे, जिन्होंने देश की दिशा बदल दी।\n\nभारत कुछ ही समय में मुसलमानों की एक जागीर में परिवर्तित हो गया और दासों और धन की कभी न खत्म होने वाली आपूर्ति का स्रोत बन गया, कुछ ही शताब्दियों में हिंदू आबादी को एक गिनती में 8 करोड़ तक कम कर दिया।\n\nइन पांच या छह शताब्दियों में क्या गलत हुआ था?\n\nइस अमानवीय पतन के लिए भारतीयों ने क्या गलतियां की हैं?\n\nक्या उनके धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण में कुछ गलत था जिससे हिंदुओं को बार-बार हार का सामना करना पड़ा?\n\nवे बेशुमार धन और कौशल होने के बावजूद आक्रमणों को रोकने के लिए चीन की दीवार जैसा कुछ बनाने के बारे में क्यों नहीं सोच सके?\n\nतुर्कों की भारत में इतनी दिलचस्पी क्यों थी? भारत पर आक्रमण करने के लिए उनके बीच एक होड़ क्यों थी?\n\nभारत के पास ऐसा क्या था या क्या नहीं था जिसने इतने क्रूर आक्रमणकारियों को आकर्षित किया?\n\nउन्होंने पूरे शहर के शहर क्यों जला दिये और जीत के बाद पूरी आबादी का सफाया क्यों कर दिया?\n\nक्योंकि हिंदुओं के लिए यह एक खेल जैसा था, जबकि तुर्कों के लिए यह एक युद्ध था, एक खूनी युद्ध था। जिसको किसी भी कीमत पर जीतना था।\n\nयह उन वीर हिन्दू योद्धाओं की कहानी है जिन्होंने वीरतापूर्वक उनका मुकाबला किया।\n\nराजा दाहिर। ललितादित्य। पुलकेशिन। नायकी देवी। जयपाल। सुहेल देव। पृथ्वीराज।\n\nऔर यह सूची खत्म ही नहीं होती।
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