ख़तों का सफरनामा | Khaton ka safarnama

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यह अमृता प्रीतम और इमरोज़ द्वारा एक-दूसरे को लिखे गए प्रेम-पत्रों का संकलन है, जिनसे इन दो अत्यधिक रचनात्मक व्यक्तियों के व्यक्तित्वों के संबंध में गोपनीय जानकारी प्राप्त होती है। इनके द्वारा पाठक उनके असाधारण संबंध के बारे में गहरी अंतर्दृष्टि प्राप्त करते हैं। इनसे उस समय के सामाजिक हालात पर भी रोचक प्रकाश पड़ता है। इसी में इन पत्रों का महत्त्व निहित है|

अमृता प्रीतम - भारतीय साहित्य में कथाकार एवं कवयित्री के रूप में एक बहुचर्चित नाम । 31 अगस्त, 1919 को गुज़राँवाला (पंजाब) में जन्म । बचपन बीता लाहौर में, शिक्षा भी वहीं हुई। किशोरावस्था से लिखना शुरू कर दिया था——कविता, कहानी, उपन्यास और निबन्ध भी। प्रकाशित पुस्तकें पचास से अधिक। महत्त्वपूर्ण रचनाएँ: काग़ज़ ते कैनवस, मैं जमा तू (कविता संग्रह), पिंजर, जलावतन, यात्री, कोरे काग़ज़ (उपन्यास); सात सौ बीस क़दम (कहानी-संग्रह); काला गुलाब, सफ़रनामा, अज्ज दे काफ़िर (गद्य-कृतियाँ); रसीदी टिकट (आत्मकथा) आदि। अनेक रचनाएँ देशी-विदेशी भाषाओं में अनूदित। साहित्यिक पत्रकारिता में विशेष रुचि। 'साहित्य अकादेमी पुरस्कार' (1956), बुल्ग़ारिया के 'वैप्सरोव पुरस्कार' (1980), और 'ज्ञानपीठ पुरस्कार' (1981) से सम्मानित। देहावसान : 31 अक्तूबर, 2005।

अमृता प्रीतम

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