तार सप्तक - \nगजानन माधव मुक्तिबोध, नेमिचन्द्र जैन भारतभूषण अग्रवाल, प्रभाकर माचवे, गिरिजाकुमार माथुर रामविलास शर्मा और अज्ञेय।\n1943 में प्रकाशित 'तार सप्तक' का ऐतिहासिक महत्त्व इस मद में है कि इसी संकलन से हिन्दी काव्य-साहित्य में 'प्रयोगवाद' का आरम्भ होता है। आज भी अनेक काव्य प्रेमियों में इस संग्रह की कविताएँ आधुनिक हिन्दी कविता के उस रचनाशील दौर की स्मृतियाँ जगायेंगी जब भाषा और अनुभव दोनों में नये प्रयोग एक साथ कर सकना ही कवि-कर्म की सार्थक बनाता था। निस्सन्देह ये कविताएँ अपने में तृप्तिकर हैं—उनके लिए जिनके पास अब भी कविता पढ़ने का समय है। साथ ही, इस संग्रह की विचारोत्तेजक और विवादास्पद भूमिका को पढ़ना भी अपने में एक ताज़ा बौद्धिक अनुभव है। प्रस्तुत है 'तार सप्तक' का नया संस्करण।
सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन 'अज्ञेय' - जन्म: 7 मार्च, 1911 को देवरिया ज़िले के कासिया इलाक़े में, एक शिविर में। प्रारम्भिक शिक्षा जम्मू एवं कश्मीर में। लाहौर में क्रान्तिकारी जीवन की शुरुआत। बाद में दिल्ली में क्रान्तिकारी गतिविधियों का संचालन। अमृतसर में बम कारख़ाना बनाने के लिए पहल करते हुए गिरफ़्तार। जेल से छूटने के बाद क्रान्तिकारी जीवन से संन्यास और साहित्य लेखन एवं पत्रकारिता को पूर्णतः समर्पित। 1965-68 में साप्ताहिक 'दिनमान' का और 1977-79 में 'नवभारत टाइम्स' का सम्पादन। कृतियाँ : 17 कविता-संग्रह, 7 कहानी-संग्रह, 3 उपन्यास, 1 नाटक, 2 यात्रा-वृत्त, 3 डायरियाँ तथा अनेक निबन्ध और पत्र-संकलन प्रकाशित। अनेक कृतियों का सम्पादन तथा कई विदेशी कृतियों का अनुवाद। अनेक रचनाएँ अंग्रेज़ी, जर्मन, स्वीडिश में अनूदित। ज्ञानपीठ पुरस्कार के अतिरिक्त साहित्य अकादेमी पुरस्कार, गोल्डन ब्रेथ अन्तर्राष्ट्रीय पुरस्कार आदि अनेक पुरस्कारों से सम्मानित। निधन: 4 अप्रैल, 1987।
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