★★रामचरितमानस’ में शिव, सती और पार्वती की कथा विश्वास, संशय और श्रद्धा के अन्त:सम्बन्धों को रूपायित करती है। ★★★इसमें शिव विश्वास हैं, सती संशय और पार्वती श्रद्धा। जब जीवन में संशय का आगमन होता है तो विश्वास खण्डित होता है और अमर प्रेम मृत्यु को समर्पित हो जाता है। संशय सबसे पहले विश्वास पर ही प्रहार करता है। संशय जितना प्रभावी होगा, विश्वास उतना ही कमजोर। संशय से नाता जुड़ते ही विश्वास से नाता टूट जाता है। सती जैसे ही संशयी हुईं, शिव रूपी विश्वास से उनका नाता टूट गया। संशय और विश्वास एक साथ चल ही नहीं सकते। ✔✔एक की रक्षा के लिए दूसरे को आत्मबलिदान करना ही होगा। ‘मानस’ में कथा राम के आदर्शों की स्थापना की है, इसलिए संशय मरा, सती को आत्मदाह करना पड़ा। ✔✔ Taju Sansay Bhaju Rama by Rajendra Arun
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