तीसरा सप्तक - \nतीसरा सप्तक अज्ञेय द्वारा सम्पादित नयी कविता के सात कवियों की कविताओं का संग्रह है। इसमें कुँवर नारायण, कीर्ति चौधरी, सर्वेश्वर दयाल सक्सेना, मदन वात्स्यायन, प्रयाग नारायण त्रिपाठी, केदारनाथ सिंह और विजयदेवनरायण साही की रचनाएँ संकलित हैं। इसका प्रकाशन भारतीय ज्ञानपीठ प्रकाशन से 1959 ई. में हुआ।\nजैसा कि एक विकासमान काव्य-परम्परा में उचित ही था, कविता-सप्तकों के अनुक्रम में यह तीसरा सप्तक पहले दोनों से आगे बढ़ा हुआ है या पिछले दोनों सप्तक अपने युग के सर्वोत्तम सात कवियों का संकलन हैं, ऐसा कोई दावा नहीं है। पर उत्सुक पाठक वर्ग के सामने एक साथ इतने विशिष्ट कवियों का\nकृतित्व प्रस्तुत करने का काम केवल सप्तक ही करते रहे हैं। ये संकलन न केवल उनका प्रतिनिधित्व करते हैं वरन् अपने युग का भी। और यह भी सत्य है कि तार सप्तक, दूसरा सप्तक और तीसरा सप्तक नयी हिन्दी कविता के इतिहास का अनिवार्य अंग बन चुके हैं। आधुनिक काल में किसी भी कला की साधना साहस कर्म है। काव्य रचना में तो यह साहस निहित है ही, क्योंकि आज वह एक वैचारिक साहसिकता भी माँगती हैं। इस एडवेंचर ऑफ़ आइडियाज़ में कवि और पाठक-वर्ग सहभागी होता रहे यही सप्तकों का उद्देश्य है, और इसी दृष्टि से उनका सम्पादन हुआ है।
सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन 'अज्ञेय' - जन्म: 7 मार्च, 1911 को देवरिया ज़िले के कासिया इलाक़े में, एक शिविर में। प्रारम्भिक शिक्षा जम्मू एवं कश्मीर में। लाहौर में क्रान्तिकारी जीवन की शुरुआत। बाद में दिल्ली में क्रान्तिकारी गतिविधियों का संचालन। अमृतसर में बम कारख़ाना बनाने के लिए पहल करते हुए गिरफ़्तार। जेल से छूटने के बाद क्रान्तिकारी जीवन से संन्यास और साहित्य लेखन एवं पत्रकारिता को पूर्णतः समर्पित। 1965-68 में साप्ताहिक 'दिनमान' का और 1977-79 में 'नवभारत टाइम्स' का सम्पादन। कृतियाँ : 17 कविता-संग्रह, 7 कहानी-संग्रह, 3 उपन्यास, 1 नाटक, 2 यात्रा-वृत्त, 3 डायरियाँ तथा अनेक निबन्ध और पत्र-संकलन प्रकाशित। अनेक कृतियों का सम्पादन तथा कई विदेशी कृतियों का अनुवाद। अनेक रचनाएँ अंग्रेज़ी, जर्मन, स्वीडिश में अनूदित। ज्ञानपीठ पुरस्कार के अतिरिक्त साहित्य अकादेमी पुरस्कार, गोल्डन ब्रेथ अन्तर्राष्ट्रीय पुरस्कार आदि अनेक पुरस्कारों से सम्मानित। निधन: 4 अप्रैल, 1987।
अज्ञेयAdd a review
Login to write a review.
Customer questions & answers