दूरियों के घेरे रवीन्द्र वर्मा का दूसरा कविता संग्रह है। प्रायः छोटे-छोटे प्रसंगों में विन्यस्त इन कविताओं में कहीं भी कोई अबूझपन नहीं है, बल्कि सादगी का सौन्दर्य और संप्रेषणीयता का बल है। कवि की रचनाशीलता में आत्मनिरीक्षण का स्वभाव और आत्मान्वेषण की आकुलता है, वहीं उसके माथे पर संसार और समाज की दशा-दिशा को लेकर चिंता की लकीरें भी।
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