तितलियों के पीछे दौड़ते बचपन की ये कहानी, उजली रातों में मुठ्ठी भर जुगनू पकड़ने की कहानी है। पगडंडियों पर बाहें फैलाए उड़ने की और किसी पेड़ की फुनगी पर बैठ नदी के पार ढलते सूरज को निहारने की कहानी है। ये कहानी बगीचे में चिड़िया के एक-एक तिनके जुटाने और गिलहरी के अमरूद से आम तक फुदकने के बीच मिट्टी के खिलौने बनाने की है। ये उन दिनों की कहानी है जब दिल और दिमाग़ एक ही बात सोचा करते थे, एक ही बात कहा करते थे। बचपन के सतरंगी सपनों वाली ये तितलियों के पीछे भागने की कहानी है।
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