तुर्क पृष्ठभूमि में पहली बार पश्चिमी रुहेलखण्ड के एक तुर्क बाहुल्य क्षेत्र ‘सम्भल' के इतिहास एवं ‘दीपासराय एक खोज' पर शोध कार्य के दौरान मध्य एशिया एवं वहाँ के तुर्कों की प्राचीन सभ्यता, संस्कृति एवं भाषा के विषय में आवश्यक जानकारी प्राप्त करने के लिए मुझे मध्य एशिया के इतिहास को विस्तार से पढ़ने एवं जानने की आवश्यकता हुई । लिहाज़ा तुर्कों के इतिहास से सम्बन्धित हिन्दी, उर्दू व अंग्रेज़ी भाषा में प्रसिद्ध एवं प्रामाणिक किताबों, दस्तावेज़ों एवं शोध लेखों के अध्ययन के दौरान मैंने निश्चय किया कि मध्य एशिया एवं तुर्कों की प्राचीन सभ्यता, संस्कृति, धर्म एवं भाषा आदि की जानकारी देने के साथ-साथ तुर्कों की उत्पत्ति पर प्रकाश डालते हुए मध्यकालीन युग में तीन महाद्वीपों में तुकों की सभी मुख्य सल्तनतों अथवा साम्राज्यों एवं उनके प्रसिद्ध हुक्मरानों के उत्कर्ष व पतन के संक्षिप्त इतिहास को भी पहली बार एक साथ एक ही पुस्तक में लाने का प्रयास किया जाए, लिहाज़ा 'तुर्क : एशिया-यूरोप-अफ्नीक़ा' के नाम से प्रस्तुत है पुस्तक । (इसी पुस्तक से)
एम. उसमान एम. उसमान (मौहम्मद उसमान) का जन्म 1946 में सम्भल, मुरादाबाद (उत्तर प्रदेश) में हुआ। 1960 में हिन्द इण्टर कालेज सम्भल से हाई स्कूल परीक्षा उत्तीर्ण करने के पश्चात एम. उसमान ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से बी.एससी. व एम.एससी. (रसायन विज्ञान) की उपाधियाँ हासिल कीं । सितम्बर 1967 से उन्होंने इस्लामिया इण्टर कालेज इटावा (उत्तर प्रदेश) में रसायन प्रवक्ता के पद पर नियुक्त होकर शिक्षा विभाग में अपनी सेवाएँ आरम्भ कीं। अप्रैल 1996 में वह इस्लामिया इण्टर कालेज इटावा से ट्रांसफर होकर उसी पद पर हिन्द इण्टर कालेज सम्भल में आये, बाद में इसी कालेज में प्रिंसिपल हो गये और जून 2008 में वहीं से सेवानिवृत्त हुए। एम. उसमान ने एक शिक्षक तथा प्रिंसिपल दोनों के रूप में अपनी ज़िम्मेदारियों को पूरे अनुशासन के साथ कुशलतापूर्वक निभाया और लोकप्रियता हासिल की। सत्तर व अस्सी के दशक में उनकी उर्दू रचनाएँ तथा हिन्दी गीत, व्यंग व कहानियाँ क्रमशः शबखून (इलाहाबाद) व सरिता, धर्मयुग (देहली) आदि पत्रिकाओं में छपीं। 'तुर्क : एशिया-यूरोप- अफ़्रीक़ा' के साथ ही उनकी स्थानीय इतिहास पर एक शोधपरक पुस्तक 'तुर्क और सम्भल दीपासराय एक खोज' भी प्रकाशित हो रही है।
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