Ugra Sanchayan

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उग्र' संचयन - \nजीवन में कई रंगों को एक साथ जीनेवाले 'उग्र' (पांडेय बेचन शर्मा 'उग्र') के व्यक्तित्व और कृतित्व का मूल्यांकन एक ऊर्ध्वरेखा में नहीं किया जा सकता। उनके जीवन तथा उनके लेखन के विभिन्न आयामों का एक साथ आकलन करने के लिए एक व्यापक प्रक्रिया से गुज़रना होगा। वे विद्रोही होने के साथ-साथ लीक से हटकर नयी राह चलने वाले लेखक थे। उनके व्यक्तित्व में कबीरी मस्ती, अक्खड़पन, हाज़िरजवाबी कूट-कूटकर भरी पड़ी थी। इसलिए उन्होंने जो कुछ लिखा— सर्वथा मौलिक लिखा। किसी से प्रेरित या प्रभावित नहीं था उनका लेखन।\n'उग्र' के लेखन की अभिव्यक्ति और शिल्पकला उन्हें हिन्दी के तमाम लेखकों से भिन्न करती है। उन्होंने तथाकथित सभ्य समाज के दोषों-दुर्बलताओं का खुलकर पर्दाफ़ाश किया, उनके काले कारनामों को उजागर किया— इस भाव से कि समाज में जागृति आये, वह सचेत रहे। और इसके लिए 'उग्र' को इसका मूल्य भी चुकाना पड़ा। अस्तु, साहित्य और समाज में वे अकेले पड़कर भी अपने सिद्धान्तों और साहित्य-पथ पर निरन्तर दृढ़चरण बने रहे।\nप्रस्तुत संचयन में न तो 'उग्र' की तमाम श्रेष्ठ रचनाओं को लिया जा सका है और न ही प्रतिनिधि रचनाओं को। हाँ, इनके माध्यम से पाठकों को 'उग्र' के क्रान्तिकारी तेवरों, उनके विभिन्न रंगों की झलक अवश्य मिल सकेगी— उनके जीवन की, उनके लेखन की बानगी के रूप में। और निश्चय ही इतने से पाठक 'उग्र' से भलीभाँति परिचित हो जायेंगे।

राजशेखर व्यास - पद्मभूषण, साहित्य वाचस्पति डॉ. पं. सूर्यनारायण जी व्यास के सबसे छोटे पुत्र श्री राजशेखर व्यास अनेक भाषाओं में अपने लेखन, निर्माण निर्देशन, सम्पादन, मौलिक चिन्तन के लिए विख्यात हैं। वे कैम्ब्रिज (इंग्लैंड) के अपर-महानिदेशक रहे। अब तक 60 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित। लेख-निबन्ध देश-विदेश के प्रायः सभी अख़बारों में प्रकाशित। देशभक्ति और क्रान्तिकारी साहित्य पर विशेष कार्य। दूरदर्शन के राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय प्रसारणों में 200 से ज़्यादा वृत्तचित्रों का निर्माण-निर्देशन और लेखन प्रसारण। अकेले अपनी जन्मभूमि उज्जयिनी पर तीन महत्त्वपूर्ण वृत्तचित्र : 'जयति जय उज्जयिनी', 'काल' और 'द टाइम' का निर्माण। अनेक राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय सम्मानों के साथ हिन्दी अकादमी, दिल्ली से 'साहित्यकार सम्मान'। ए.आई.बी.डी., मलेशिया द्वारा 'मैन ऑफ़ द ईयर' तथा संस्कृति मन्त्रालय, भारत सरकार द्वारा फ़ेलोशिप। विश्व के अनेक देशों की यात्राएँ।

राजशेखर व्यास

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