वांग छी | WANG CHII

  • Format:

ये कहानियाँ उत्तर भूमण्डलीकृत हमारे समाज का वीभत्स, क्रूर लेकिन मुस्कराता और अपनी चमक- दमक से हमें लुभाता हुआ चेहरा हमारे सामने लाता है। मानवीय संवेदनाओं के चितेरे मनीष ने आज के दौर को अनूठे ढंग और खूबी से प्रस्तुत किया है और उसमें भी वे ख़ासकर छोटे-छोटे हुनरमन्द लोगों के रोजगार के कम या बन्द होने की चिन्ता को कहानी की केन्द्रीय चिन्ता बनाकर बड़े फ़लक पर ले जाते हैं या लगातार टूटते गाँव-क़स्बों को जिस शिद्दत और अपनेपन से सामने रखते हैं, वह साबित करता है कि अपने गाँव की मिट्टी से जुड़े रहने के साथ मनीष समाज में तेजी से घट रहे बदलावों और छोटे तथा दबे-कुचले लोगों के लिए सतत क्रूर होते जा रहे समय की नब्ज़ को पहचानते हैं और अपने किरदारों के जरिये उन्हें अपनी कहानियों में जगह देते हैं। दुनिया के एक बाजार में तब्दील होते जाने और हमारे बीच से मनुष्यता, प्रेम और करुणा के कमतर होते जाने की पीड़ा को व्यक्त करती बड़बोलेपन और नारेबाज़ी से दूर उनकी यथार्थवादी कहानियों में विचार अण्डरटोन में भीनी गन्ध की तरह पाठक को छूकर निकल जाता है लेकिन उस गन्ध की महक गहरे तक धँसकर पाठक के मन में लम्बे वक़्त तक बनी रहती है।

Customer questions & answers

Add a review

Login to write a review.

Related products

Subscribe to Padhega India Newsletter!

Step into a world of stories, offers, and exclusive book buzz- right in your inbox! ✨

Subscribe to our newsletter today and never miss out on the magic of books, special deals, and insider updates. Let’s keep your reading journey inspired! 🌟