आप चाहे नेतृत्वकर्ता हों, नेतृत्वकर्ता होने की ओर अग्रसर हों, या साधारण व्यक्ति हों, आपके जीवन का परम लक्ष्य अपनी दिव्यता को अनुभव करना है, जो दरअसल आपकी वास्तविक प्रकृति है - वेदान्त का प्राचीन दर्शन, वह दर्शन जो पूरब के विचार और अध्यात्म का सार है, यही शिक्षा देता है।\n\nइस स्वावलम्बी मार्गदर्शिका में पुस्तक के लेखक ने इन्हीं कालातीत और महत्वपूर्ण शिक्षाओं को संग्रहीत किया है और उन्हें प्रासंगिक सीखों में रूपान्तरित किया है। वेद और उपनिषदों के ज्ञान का सार देते हुए यह पुस्तक जीवन और उसे जीने के ढंग के बारे में वेदान्त के शाश्वत सिद्धान्तों का प्रतिपादन करती है, और नेतृत्व तथा सफलता की आपकी उत्कृष्टतम सम्भावनाओं को जगाने के लिए केन्द्रीय महत्त्व की शिक्षाएँ देती है।
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