विस्मृत निबन्ध - \n'विस्मृत निबन्ध' कृति यूँ तो सभी पाठक वर्ग के लिए है, किन्तु हमने इसका प्रकाशन विशेष रूप से उन विद्यार्थियों के लिए किया है, जो सन्दर्भ सामग्री के अभाव में अपने शोधकर्म में एक स्तर पर पहुँचकर असहाय अनुभव करते हैं। विद्यार्थियों को न केवल अपने काम में इससे सहायता मिलेगी, बल्कि वे निबन्ध के इतिहास, परम्परा और उनकी निर्मिति के वैविध्य पक्ष, भाषा और कहन के शिल्प को भी जान सकेंगे।\nइस पुस्तक में हिन्दी साहित्य के शीर्षस्थानीय 43 लेखकों के साहित्य जगत में विस्मृत हुए निबन्धों का संयोजन किया गया है। जिसमें प्रमुख हैं—आनन्द नारायण शर्मा, केशवचन्द्र, पद्मसिंह, रामदहिन, रामनाथ सुमन, रायकृष्ण, गोविन्द नारायण मिश्र, प्रेमचन्द्र, मुक्तिबोध, रामचन्द्र शुक्ल, रवीन्द्रनाथ टैगोर, अयोध्यासिंह उपाध्याय, जयशंकर प्रसाद, भारतेन्दु हरिश्चन्द्र, महादेवी वर्मा, महावीर प्रसाद द्विवेदी और हरिशंकर परसाई तक यह सूची जाती है।\nइस पुस्तक को सन्दर्भ ग्रन्थ की भाँति भी अपने पुस्तकालय में रखा जा सकता है। वास्तव में यह मात्र किताब न होकर निबन्धों के माध्यम से सांस्कृतिक यात्रा भी है।
लीलाधर मंडलोई - जन्म: जन्माष्टमी। सही तिथि व साल अज्ञात। शिक्षा: बी.ए., बी.एड. (अंग्रेज़ी) पत्रकारिता में स्नातक। एम.ए. (हिन्दी)। प्रसारण में उच्च शिक्षा—सी.आर.टी. लन्दन से। पदभार: दूरदर्शन, आकाशवाणी के महानिदेशक सहित कई राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय समितियों के साथ ही प्रसार भारती बोर्ड के सदस्य। कृतियाँ: घर-घर घूमा, रात बिरात, मगर एक आवाज़, काल बाँका तिरछा, क्षमायाचना, लिखे में दुक्ख, एक बहुत कोमल तान, महज शरीर नहीं पहन रखा था उसने, उपस्थित है समुद्र (हिन्दी व रूसी में) (कविता संग्रह)। देखा-अदेखा, कवि ने कहा, हत्यारे उतर चुके हैं क्षीर सागर में, प्रतिनिधि कविताएँ 21वीं सदी के लिए पचास कविताएँ (कविता चयन)। कविता का तिर्यक (आलोचना)। अर्थजल, दिल का क़िस्सा (निबन्ध)। दाना-पानी (डायरी)। काला पानी (यात्रा वृत्तान्त)। बुन्देली लोकगीतों की किताब, अंदमान निकोबार की लोककथाओं की दो किताबें— पेड़ भी चलते हैं, चाँद का धब्बा (बाल साहित्य)। सम्पादन: केदारनाथ सिंह संचयन, कविता के सौ बरस, स्त्रीमुक्ति का स्वप्न, कवि एकादश, रचना समय, समय की कविता आदि। अनुवाद: पानियों पे नाम (शकेब ज़लाली की ग़ज़लों का लिप्यंतरण मंजूर एहतेशाम के साथ)। माँ की मीठी आवाज़ (अनातोली परम्परा की रूसी कविताएँ, अनिल जनविजय के साथ)। फ़िल्म: कई रचनाकारों पर डाक्यूमेंट्री निर्माण, निर्देशन तथा पटकथा लेखन। कुछ धारावाहिकों में कार्यकारी निर्माता तथा संगीत व साहित्य के ऑडियो-वीडियो सीडी, वीसीडी के निर्माण में सक्रिय भूमिका।
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