यादें - \nप्रख्यात ज्योतिर्विद, हिन्दी के यशस्वी लेखक एवं प्रतिष्ठित पत्रकार पण्डित सूर्यनारायण व्यास अपने जीवन काल में देश की जिन महान विभूतियों के सम्पर्क में आये, वैचारिक आदान-प्रदान हुआ वह सब 'यादें' में उनके संस्मरणात्मक लेखों के रूप में संगृहीत है। व्यासजी की सशक्त क़लम से समय-समय पर निःसृत इन संस्मरणों का ऐतिहासिक महत्त्व है और ये युग की धरोहर हैं।\nइन लेखों में जहाँ ईमानदार, निरभिमानी एवं स्वाभिमानी राष्ट्रनायकों, उद्योगपतियों, सन्तों, क्रान्तिकारियों, साहित्यकारों और कलाकारों के सम्पर्क में आने से उपजे प्रेरक प्रसंग हैं वहाँ मन को गहराई तक छू जानेवाली उनके निजी जीवन की कुछेक स्मृतियाँ भी हैं। इन संस्मरणों की शैली कुछ ऐसी है कि हम कभी-कभी ठहाका लगा बैठते हैं तो कभी अनायास आँखों को नम होने से रोक नहीं पाते।\nपण्डित सूर्यनारायण व्यास के आत्मज राजशेखर व्यास के कुशल सम्पादन में हिन्दी साहित्य-जगत को समर्पित है।
पं. सूर्यनारायण व्यास – भगवान श्रीकृष्ण व बलराम के विद्यागुरु महर्षि सन्दीपनि वंशोत्पन्न पं. सूर्यनारायण व्यास (जन्म 2 मार्च, 1902) संस्कृत, ज्योतिष, इतिहास, साहित्य व पुरातत्त्व के अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति के विद्वान थे। उज्जयिनी के विक्रम विश्वविद्यालय, अखिल भारतीय कालिदास समारोह, विक्रम कीर्ति मन्दिर, सिन्धिया प्राच्य विद्या शोध प्रतिष्ठान और कालिदास अकादमी के संस्थापक पं. व्यास 'विक्रम' मासिक के भी वर्षों संचालक-सम्पादक रहे। राष्ट्रपति द्वारा 'पद्मभूषण', विक्रम विश्वविद्यालय द्वारा डी.लिट्. और साहित्य सम्मेलन प्रयाग द्वारा 'साहित्य वाचस्पति' की उपाधि से विभूषित, अनेक भाषाओं के मर्मज्ञ पं. व्यास पचास से अधिक ग्रन्थों के लेखक-सम्पादक थे। वे जितने प्रखर चिन्तक व मनीषी थे उतने ही कर्मठ क्रान्तिकारी भी। राष्ट्रीय आन्दोलन में उन्होंने जेल यातनाएँ भी सहीं। अनेक राजा-महाराजाओं और राजनेताओं के राजगुरु और देश-विदेश में सम्मानित पं. व्यास 22 जून, 1976 की सान्ध्य वेला में स्वर्गारोहण कर गये।
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