ये रिश्ते क्या है' पुस्तक जे. कृष्णमूर्ति द्वारा विभिन्न स्थानों पर दी गयी वार्ताओं का एवं उनके द्वारा रचित लेखों का प्रासंगिक संकलन है। हमारा हर उस शख्स से, हर उस शै से क्या रिश्ता है जो हमारे जीवन में है? क्या हमारे रिश्तों में ये द्वंद्व कभी ख़त्म न होंगे? तमाम तरह की स्मृतियों व अपेक्षाओं पर आधारित ये संबंध कितने आधे-अधूरे से है, और वर्तमान की जीवंतता से प्रायः अपरिचित, छवियों व पूर्वाग्रहों में कैद इन्हीं रिश्तों में हम सुकून तलाशते हैं। आखिर सही रिश्ता, सम्यक् संबंध है क्या? कृष्णमूर्ति कहते हैं, 'जब आप खुद को ही नहीं जानते, तो प्रेम व संबंध को कैसे जान पाएंगे'? 'हम रूढि़यों के दास हैं। भले ही हम खुद को आधुनिक समझ बैठें, मान लें कि बहुत स्वतंत्र हो गये हैं, परंतु गहरे में देखें तो हैं हम रूढि़वादी ही। इसमें कोई संशय नहीं है क्योंकि छवि-रचना के खेल को आपने स्वीकार किया है और परस्पर संबंधों को इन्ही के आधार पर स्थापित करते हैं। यह बात उतनी ही पुरातन है जितनी कि ये पहाडि़यां। यह हमारी एक रीति बन गई है। हम इसे अपनाते हैं, इसी में जीते है, और इसी से एक दूसरे को यातनाएं देते हैं। तो क्या इस रीति को रोका जा सकता है'?
J. Krishnamurti (1895-1986), the renowned spiritual teacher, shared his wisdom in lectures and many books, including Freedom from the Known, The First and Last Freedom, and The Awakening of Intelligence.
J. KrishnamurtiAdd a review
Login to write a review.
Customer questions & answers