Yogasan Aur Pranayam

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इस पुस्तक को सभी प्रकार के लोग पढ़ेंगे । योगासन से सम्बन्धित यह पुस्तक न तो पहली है और न अद‍्भुत; परन्तु यह पुस्तक परम्पराओं से हटकर अवश्य है । पाठकों को यह इसलिए भी रुचिकर लगेगी, क्योंकि वे इस पुस्तक के माध्यम से बिना किसी गुरु के ही ' योगासन ' और ' प्राणायाम ' सीख सकेंगे । अन्य उपलब्ध पुस्तकों से कुछ अधिक जानकारी, अधिक सहजता और अधिक सावधानियां इस पुस्तक में दी जा रही है । सरलतम और अत्यावश्यक योगासन ही इसमें दिये जा रहे हैं । अधिक विस्तृत जानकारियां सभी स्‍तर के पाठकों को ध्यान में रखकर ही दी जा रही हैं, जिससे आपको कम-से-कम परेशानी हो और आप अधिक-से- अधिक लाभ प्राप्‍त कर सकें; चिकित्सक और रोगी इन जानकारियों का लाभ ले सकें । - इसी पुस्तक से अति सरल भाषा, विशिष्‍ट शैली, गम्‍भीरतम वैज्ञानिक विश्‍लेषण और सुबोध व्याख्या स्वामी अक्षय आत्मानन्दजी की पुस्तकों की ऐसी विशेषता है कि पाठक उनकी योग सम्बन्‍धी पुस्तकों की बार-बार मांग करते हैं । आप भी एक बार यदि किसी एक ग्रन्‍थ को पढ़ लेंगे तो सदैव स्वामी जी का साहित्य ही मांगेंगे । हमें विश्‍वास है कि इस पुस्तक को पढ़ने के बाद आप भी योग विद्या में स्वयं काा प्रवीण कर सकेंगे।.

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Swami Akshya Atmanand

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