आंचलिक उपन्यासों में यह एक विशिष्ट और स्वागतयोग्य कृति मानी जा सकती है। उपन्यास की प्रमुख पात्रा रामशरण बहू के माध्यम से लेखक ने व्यक्ति के भीतर और बाहर चल रही लड़ाई के लिए जो युद्धस्थल तैयार किया है, उसका चारित्रिक और मानसिक क्षेत्रफल बहुत विशाल है। सरल सीधी भाषा और सपाट वर्णनशैली की प्रासादिकता इस उपन्यास की निजी विशेषता है। यह क्रांति के व्यूहद्वार पर खड़ी नारी की रोचक कहानी है।
Add a review
Login to write a review.
Customer questions & answers