ज़ीरो रोड - \nहिन्दी की प्रख्यात कथा-लेखिका नासिरा शर्मा का नवीनतम उपन्यास है 'ज़ीरो रोड'। इसका कथानक इलाहाबाद के ठहरे और पिछड़े मोहल्ले 'चक' से शुरू होकर दुबई जैसे अत्याधुनिक व्यापारिक नगर की रफ़्तार की ओर हमें ले जाता है। यह वह नगर है जहाँ लगभग सौ राष्ट्रों के लोग अपनी रोज़ी-रोटी कमाने के लिए रेगिस्तान में जमा हुए हैं। दरअसल ये अपनी मर्ज़ी से यहाँ नहीं आये हैं बल्कि अपने हालात से उखड़े वे लोग हैं जो बम-संस्कृति से खदेड़े गये हैं, निराश्रित हैं और अपने ख़्वाब एवं ख़याल को ढूँढ़ते, फिर से जीने के लिए कमर कसे हैं।\nताज्जुब तो यह है कि इन्सानों ने जिस धरती को भौतिक सुख-सुविधाओं से सजाया है उसी की हर राह शून्य पर जाकर समाप्त होती है। साँसों का गणित और जीवन के आयाम जो भी हों, एक यथार्थ सामने है कि ज़ालिम और ज़ुल्म सहनेवाले दोनों ही ज़ीरो रोड पर एक-दूसरे के सामने ख़ुद को खड़ा पाते हैं।\nसंसार के मानचित्र पर खड़े विभिन्न देश, भाषा, धर्म, रंग के लोग एक ही अनुभव से गुज़र रहे हैं। सबके अन्दर एक ही राग है जिसे पीड़ा कहा जा सकता है। और उसी पीड़ा को पकड़ने की कोशिश नासिरा जी ने इस उपन्यास में की है जो किसी एक का नहीं, सबका सच है–'ज़ीरो रोड'।
नासिरा शर्मा - 1948 में इलाहाबाद (उ. प्र.) में जन्मी नासिरा शर्मा को साहित्य के संस्कार विरासत में मिले। फ़ारसी भाषा साहित्य में जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय से एम.ए. किया हिन्दी, उर्दू, फारसी, अंग्रेज़ी और पश्तो भाषाओं पर उनकी गहरी पकड़ है। वह ईरानी समाज और राजनीति के अतिरिक्त साहित्य, कला और संस्कृति विषयों की विशेषज्ञ हैं। इराक़, अफ़ग़ानिस्तान, पाकिस्तान, सीरिया तथा भारत के राजनीतिज्ञों तथा प्रसिद्ध बुद्धिजीवियों के साथ साक्षात्कार किये जो बहुचर्चित हुए। युद्ध बन्दियों पर जर्मन व फ्रांसीसी दूरदर्शन के लिए बनी फ़िल्म में उनकी महत्त्वपूर्ण भूमिका रही। साथ ही साथ स्वतन्त्र पत्रकारिता में उनका महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है। उपन्यास बहिश्ते-ज़हरा, शाल्मली, ठीकरे की मंगनी, ज़िन्दा मुहावरे, अक्षयवट, कुइयाँजान, ज़ीरो रोड, पारिजात, काग़ज की नाव, अजनबी जजीरा, शब्द पखेरू, दूसरी जन्नत, कहानी संग्रह शामी काग़ज़, पत्थरगली, इब्ने मरियम, संगसार, सबीना के चालीस चोर, ख़ुदा की वापसी, दूसरा ताजमहल, इन्सानी नस्ल, बुतख़ाना, रिपोर्ताज़ - जहाँ फौव्वारे लहू रोते हैं; संस्मरण यादों के गलियारे; लेख संग्रह किताब के बहाने, राष्ट्र और मुसलमान, औरत के लिए औरत, औरत की आवाज़, औरत की दुनिया; अध्ययन अफ़ग़ानिस्तान बुज़क़शी का मैदान, मरजीना का देश इराक़ अनुवाद : शाहनामा-ए-फ़िरदौसी, काइकोज आफ़ इरानियन रेवुलूशन : प्रोटेस्ट पोयट्री, बर्निंग पायर, काली छोटी मछली (समदबहुरंगी की कहानियाँ); इसके अलावा 6 खण्डों में अफ्रो-एशिया की चुनी हुई रचनाएँ, निजामी गंजवी, अत्तार, मौलाना रूमी की चुनी हुई मसनवियों और 'क़िस्सा जाम का' (खुरासान की लोककथाएँ) का अनुवाद; नाटक पत्थर गली, सबीना के चालीस चोर, दहलीज़, इब्ने मरियम, प्लेटफार्म नम्बर सात; बाल साहित्य : भूतों का मैकडोनल, दिल्लू दीमक (उपन्यास), दर्द का रिश्ता, गुल्लू, नवसाक्षरों के लिए धन्यवाद धन्यवाद, पढ़ने का हक़, गिल्लो बी, सच्ची सहेली, एक थी सुल्ताना, टी.वी. फ़िल्म व सीरियल : तड़प, माँ काली मोहिनी, आया वसंत सखी, सेमल का दरख्त (टेलीफ़िल्म), शाल्मली, दो बहनें, वापसी (सीरियल)।
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