
सआदत हसन मण्टो
मण्टो पर बातें करते हुए अचानक देवेन्द्र सत्यार्थी की याद आ जाती है । मण्टो का मूल्यांकन करना हो तो मण्टो और मण्टो पर लिखे गये, दुनियाभर के लेख एक तरफ मगर सत्यार्थी मण्टो पर जो दो सतरें लिख गये, उसकी नज़ीर मिलनी मुश्किल है। ‘मण्टो मरने के बाद खुदा के दरबार में पहुँचा तो बोला, तुमने मुझे क्या दिया... बयालिस साल । कुछ महीने, कुछ दिन । मैंने तो सौगन्धी को सदियाँ दी हैं।' 'सौगन्धी' मण्टो की मशहूर कहानी है। लेकिन एक सौगन्धी ही क्या मण्टो की कहानियाँ पढ़िये तो जैसे हर कहानी 'सौगन्धी' और उससे आगे की कहानी लगती है।