Madam Dicosta (Manto Ab Tak-16)

  • Format:

समाज और व्यक्ति के खरे आलोचक के इलावा मण्टो का एक दूसरा रूप ज़िन्दगी के दबे छिपे कोने उघाड़ने वाले, ज़िन्दगी की हास्य-व्यंग्य भरी स्थितियाँ चित्रित करने वाले कहानीकार का भी था। मन्त्र, मैडम डिकॉस्टा, मम्मी, प्रगतिशील, ब्लाउज़, बू, खुशिया और बाबू गोपीनाथ ऐसी कहानियाँ हैं, इन्हें हालाँकि मण्टो की अपार मानवीयता का स्पर्श तो मिला है, लेकिन इनमें आक्रोश का सर्वथा अभाव है। दरअसल ये कहानियाँ अपने आप में एक बिल्कुल ही अलग वर्ग निर्मित करती हैं। इनमें कहानीपन ज़्यादा है, नाटकीयता कम है और जुम्लेबाज़ी की वह चुस्ती दिखायी पड़ती है जो मण्टो की अपनी ही विशेषता है।

मण्टो पर बातें करते हुए अचानक देवेन्द्र सत्यार्थी की याद आ जाती है । मण्टो का मूल्यांकन करना हो तो मण्टो और मण्टो पर लिखे गये, दुनियाभर के लेख एक तरफ मगर सत्यार्थी मण्टो पर जो दो सतरें लिख गये, उसकी नज़ीर मिलनी मुश्किल है। ‘मण्टो मरने के बाद खुदा के दरबार में पहुँचा तो बोला, तुमने मुझे क्या दिया... बयालिस साल । कुछ महीने, कुछ दिन । मैंने तो सौगन्धी को सदियाँ दी हैं।' 'सौगन्धी' मण्टो की मशहूर कहानी है। लेकिन एक सौगन्धी ही क्या मण्टो की कहानियाँ पढ़िये तो जैसे हर कहानी 'सौगन्धी' और उससे आगे की कहानी लगती है।

सआदत हसन मण्टो

Customer questions & answers

Add a review

Login to write a review.

Related products

Subscribe to Padhega India Newsletter!

Step into a world of stories, offers, and exclusive book buzz- right in your inbox! ✨

Subscribe to our newsletter today and never miss out on the magic of books, special deals, and insider updates. Let’s keep your reading journey inspired! 🌟