मुनव्वर राना

मुनव्वर राना

मुनव्वर राना - मेरा जन्म 26 नवम्बर, 1952 को उत्तर प्रदेश के शहर रायबरेली में हुआ। रायबरेली जो मलिक मोहम्मद जायसी, आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी, मुल्ला दाऊद, राणा बेनी माधव, मौलाना अबुल हसन नदवी जैसी शख्सियतों की ख़ुश्बू से आज तक महकता है, सियासी तौर पर भी ये शहर फ़िरोज़ गाँधी, इंदिरा गाँधी और अब सोनिया गाँधी, राहुल गाँधी और प्रियंका गाँधी से दीवानगी की हद तक मोहब्बत करता है। हमारे पूर्वज इस शहर की आलमगीरी मस्जिद में इमामत करते थे और बच्चों को उर्दू और हिन्दी पढ़ाते थे। आज भी पुराने शहर के लगभग सभी परिवारों के पूर्वज हमारे दादा और परदादा के पढ़ाये हुए हैं। बटवारे में हमारा दोहरा नुक़सान हुआ। क्योंकि हमारी तो ज़मीन भी गयी और खानदान भी चला गया। इस किताब को लिखते समय मुझे कितने दुखों से गुज़रना पड़ा होगा इसका अन्दाज़ा सिर्फ़ इस बात से लगाया जा सकता है कि मुझे डॉ. एपी मजूमदार और डॉ. कौसर उस्मान की निगरानी में कलकत्ता और लखनऊ के अस्पतालों में भर्ती होना पड़ा। इस किताब को लिखते समय 60-62 बरस से बटवारे के दहकते हुए अंगारों पर मुझे इतनी बार लोटना पड़ा है कि मेरी सोच की आत्मा पर भी उसके फफोले उभर आये। उम्र के 59 वें जीने पर खड़े होकर मैं सच्चाई के साथ ये बता देना चाहता हूँ कि ये कुछ यादों के फफोले हैं जो इस किताब के काग़ज़ पर शायरी की सूरत में उभर आये हैं। यादों की इस अधजली एलबम को आप तक पहुँचाने के लिए हम अपने छोटे भाई और बेटे जैसे श्री उपेन्द्र राय और सहारा इंडिया परिवार के आभारी हैं।

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