Aaswad Ke Vividh Praroop

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आस्वाद के विविध प्रारूप - \nकविता के आस्वाद के अपने अनुभवों को दर्ज करते हुए प्रभात त्रिपाठी ने आलोचना की एक नयी और आत्मीय भाषा विकसित की है। आलोच्य कृति के अन्तरंग के साथ आनुभविक सम्बन्ध रचते हुए उन्होंने कविता के मर्म को लिखने का जो नया मुहावरा खोजा है, उसमें खोजने की विकलता की अनुगूँज है। हम अनुभव करते हैं कि वह कुछ चालू अवधारणाओं और नुस्खों पर टिकी अधिकांश समीक्षा की तुलना में हमारे मन पर गहरा असर डालती है। वास्तव में उनकी समीक्षा कवियों के रचनाशील मन की अनेक परतों को उघारने में तथा रचना की जटिलता को बोधगम्य बनाने में मनोयोग से जुटी सृजनात्मकता का ही एक अन्य रूप है। उसे साम्प्रतिक आलोचना की तरह देखना और पढ़ना शायद नाकाफ़ी है।\nप्रस्तुत पुस्तक में उन्होंने अज्ञेय, शमशेर, मुक्तिबोध, नेमिचन्द्र जैन और भवानीप्रसाद मिश्र की अनेक कविताओं की व्याख्या करते हुए उनके काव्य संसार की विशेषताओं को दर्ज भर नहीं किया है, बल्कि पूरे काव्यानुराग के साथ उनके अनुभव-संसार से अपने मन को जोड़ने की कोशिश की है। यही नहीं, अज्ञेय और शमशेर की कुछ विशिष्ट रचनाओं की सुविस्तृत व्याख्या करते हुए उन्होंने यह स्पष्ट किया है कि हर महत्त्वपूर्ण कविता अपनी नानार्थता के आलोक के साथ ही पाठक के मर्म तक पहुँचती है।\nकविता में सक्रिय वैचारकिता की पहचान से दूर न रहते हुए भी उन्होंने यह कोशिश की है कि विचार को काव्य-विन्यास और कविता के शब्दों में ही कविता के विचार की तरह पढ़ने की एक सार्थक शुरुआत हो। हर कवि की रचना की व्याख्या के दौरान लेखक ने उसके रचनागत वैशिष्ट्य को इस तरह से रेखांकित किया है कि उन्हें महज किन्हीं सरलीकृत सामान्यीकरणों के आधार पर न पढ़ा जा सके। एक पाठक की तरह पाठ के अनुभवों को दर्ज करती यह पुस्तक सरलीकरणों एवं सामान्यीकरणों के विरुद्ध पाठक के हस्तक्षेप का एक विरल उदाहरण है।

प्रभात त्रिपाठी - जन्म: 14 सितम्बर, 1941, रायगढ़ (छत्तीसगढ़)। शिक्षा: एम.ए., पीएच.डी., सागर विश्वविद्यालय। प्रकाशित कृति: कविता—खिड़की से बरसात, नहीं लिख सका मैं, आवाज़, जग से ओझल, सड़क पर चुपचाप, लिखा मुझे वृक्षों ने साकार समय में, बेतरतीब। कहानी—तलघर और अन्य कहानियाँ। उपन्यास—सपना शुरू, अनात्मकथा आलोचना प्रतिबद्धता और मुक्तिबोध का काव्य, रचना के साथ तथा पुनश्च। अनुवाद: 'समुद्र' (सीताकान्त महापात्र), 'सीताकान्त महापात्र की प्रतिनिधि कविताएँ', 'गोपीनाथ महान्ती की कहानियाँ', 'अपार्थिव प्रेम कविता' (हरप्रसाद दास) अनुवाद सभी ओड़िया से। सम्पादन: 'पूर्वग्रह' के प्रारम्भिक अंकों के सम्पादन में विशेष सहयोग। मध्य प्रदेश साहित्य अकादेमी की पत्रिका 'साक्षात्कार' का सम्पादन (1994-95), महात्मा गाँधी अन्तर्राष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय के लिए भवानी प्रसाद मिश्र की रचनाओं का संकलन सम्पादन। पुरस्कार\ सम्मान: वागीश्वरी पुरस्कार (मध्य प्रदेश साहित्य सम्मेलन), माखनलाल चतुर्वेदी सम्मान (मध्य प्रदेश साहित्य परिषद्), सौहार्द पुरस्कार (उत्तर प्रदेश शासन), शमशेर सम्मान, मुक्तिबोध सम्मान (महाराष्ट्र मण्डल, रायपुर)।

प्रभात त्रिपाठी

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