कड़कती धूप-सा पिता । नर्म छाँव-सी माँ। एक सकुचाया-सा लड़का । एक धक-सी गोरी लड़की । और एक अजीब-सी प्रेम कहानी । एक ऐसी कहानी जिसमें प्रेम तो तरतीब से सिमटा हुआ है, लेकिन कहानी बेतरतीब-सी जाने कहाँ से कहाँ तक फैली हुई है ! # पटना साइंस कॉलेज के केमिस्ट्री लैब से लेकर देहरादून इंडियन मिलिट्री एकेडमी के चेटवुड परेड-ग्राउंड तक । # बिहार के विधान-सभा चुनाव से लेकर भारतीय सेना के सर्जिकल स्ट्राइक तक । # शाहरुख़ ख़ान की 'दिल वाले दुल्हनिया ले जाएंगे' से लेकर सलमान ख़ान की 'सुल्तान' तक। कहानी, जो अपनी तरतीब सी बेतरतीबी में 'हमने कलेजा रख दिया- चाकू-की-नोक-पर' से उठती है तो फिर 'ऐसी-नज़र-से-देखा-उस- ज़ालिम ने चौक पर ही जाकर गिरती है।
टॉल-डार्क हैंडसम ... ऊंहूँ... नॉट सो टॉल और नॉट सो डार्क, लेकिन निश्चित रूप से 'हैंडसम' यह शायर-लेखक खुद को पहले एक 'सोल्जर' मानता है और फिर बाद में पिता-बेटा-भाई-पति-दोस्त। लेखक होना इन सबके बाद... बहुत बाद आता है। अपने हट कर के कही जाने वाली ग़ज़लों के लिए मशहूर कर्नल साब जब मूड में आते हैं तो खूबसूरत कहानियाँ भी बुनते हैं। उनकी कहानियाँ लगातार हिंदी की प्रतिष्ठित पत्र-पलिकाओं में छपती रहती हैं। वह शायर और लेखक ही नहीं, बल्कि सेना मैडल से समानित बहादुर फौजी भी हैं। अब तक उनकी तीन किताबे छप चुकी हैं, लेकिन उपन्यास यह पहला है।
कर्नल गौतम राजऋषिAdd a review
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