Native America Ki Lok Kathayen

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इस पुस्तक में संग्रहित सारी लोक कथाएँ अमेरिका के नेटिव अमेरिकन यानी आदिवासियों की जीवन-शैली पर आधारित कथाएँ हैं। इन संग्रहित लोक कथाओं का चुनाव विशिष्ट संरचनात्मक शैलियों पर ध्यान केन्द्रित करके किया गया था। व्यक्तिगत रूप से, मैं बचपन से ही लोक कथाओं, खासकर काल्पनिक कहानियों, परियों की कथाओं के साथ-साथ प्रकृति से जुड़ी कथाओं के प्रति काफी आकर्षित रही। लेकिन पृथ्वी के दूसरे कोनों में प्रसिद्ध रॅपन्ज़ेल जैसी परिकथाओं के साथ-साथ अलास्का राज्य में बसे खासकर एस्किमो के जीवन पर आधारित कहानियों ने कब से हृदय के कोनों को घेर लिया था पता ही नहीं चला। मन हमेशा चंचल होता चला गया था पृथ्वी के दूसरे कोने में स्थित इन स्थानों की मानव-परम्परा को देखने के लिए, अनजान लोगों को तथा अनदेखी संस्कृतियों को जानने व परखने के लिए और उनके सांस्कृतिक पहलुओं को समझने के लिए। बचपन के इन सपनों को साकार रूप लेते हुए तब देखा जब वास्तव में मुझे इन स्थानों में परिभ्रमण करने का मौका मिला और एक बार फिर उन आशाओं ने हृदय को घेर लिया कि यहाँ की लोक कथाओं को एक बार फिर से स्मृतियों के गहरों से निकालकर वास्तविक स्थल पर उतारूं और आत्मसात कर पाऊँ । इस पुस्तक में शामिल की गयी लोक कथाओं की चुनते समय मैने कई विषयों पर विशेष रूप से ध्यान दिया था। पहली बात इस पुस्तक के मुख्य उद्देश्य के साथ जुड़ी हुई है जो नेटिव अमेरिका के मूल निवासियों यानी यहाँ के आदिवासियों की लोक-संस्कृतियों, लोक-परम्पराओं, रीति-रिवाज़ों, जीवन-शैलियों, मान्यताओं और जीवन-दर्शन को सम्मानपूर्वक उपस्थापन कर उनसे हिन्दी-उर्दू के पाठकों के साथ-साथ दक्षिण एशियाई पाठकों को अवगत कराना है। इन नेटिव अमेरिकी आदिवासियों में ख़ासकर नॉर्थ कैरोलिना के रेड इंडियन, कैटावबा, लाम्बी और चेरोकी, साउथ कैरोलिना में भी व्याप्त कैटावबा, न्यूयॉर्क के टस्कारोरा, कनेक्टिकट के पिक्वोट और मोहगान इंडियन, कोलोराडो और व्योमिंग के अरापाहो, वाशिंगटन और ओरेगन के सहबतिन और सलिशन, ओकलाहोमा के क्रीक मशकोगी, कैलिफ़ोर्निया के मियोवाक आदिवासी, अलास्का के एस्किमो, इनुइट सहित कई अमेरिकी आदिवासियाँ शामिल हैं।\n- पुस्तक की भूमिका से

नीलाक्षी फुकन नीलाक्षी फुकन (नॉर्थ कैरोलिना स्टेट यूनिवर्सिटी, अमेरिका) वर्तमान में एसोसिएट टीचिंग प्रोफेसर के रूप में अध्यापन कार्य कर रही हैं। डॉ. फुकन ने भारत के डॉ. भीमराव आम्बेडकर विश्वविद्यालय (पूर्व में आगरा विश्वविद्यालय) से हिन्दी साहित्य व संस्कृति और भाषाविज्ञान जैसे विषयों में स्नातकोत्तर की डिग्रियाँ हासिल की हैं और उसी विश्वविद्यालय से पीएच.डी. की उपाधि भी प्राप्त की है और अब हिन्दी-उर्दू के भाषा साहित्य के साथ-साथ दक्षिण एशियाई साहित्य-संस्कृति का शिक्षण कार्य कर रही हैं। यूएनसी चैपेल हिल और यूनिवर्सिटी ऑफ कोलोराडो जैसे विश्वविद्यालयों में हिन्दी-उर्दू भाषा साहित्य के प्रशिक्षक और समन्वयक के रूप में सम्बद्ध रहीं। यूनिवर्सिटी ऑफ़ विस्कॉन्सिन - मैडिसन के समर लैंग्वेज इंस्टीट्यूट में एक वरिष्ठ व्याख्याता के रूप में भी हिन्दी भाषा और संस्कृति सिखाने का कार्य किया। दक्षिण एशियाई साहित्य-संस्कृति, बॉलीवुड की फ़िल्में, विश्वभर के लोक साहित्य, भाषाविज्ञान पर गहरी रुचि रखने के साथ-साथ आप यूएनसी ऑनलाइन के माध्यम से कई दूसरी यूनिवर्सिटी के विद्यार्थियों को हिन्दी-उर्दू के पाठ्यक्रम उपलब्ध करा रही हैं। आपने अमेरिकन काउंसिल ऑन द टीचिंग ऑफ़ फॉरेन लैंग्वेजेज (ACTFL) के ओरल प्रोफिशिएंसी इंटरव्यू (OPI) टेस्टर के रूप में सर्टिफिकेशन हासिल किया है। एनसी स्टेट यूनिवर्सिटी के 'प्रोजेक्ट गोल्ड' - नेतृत्व विकास व वैश्विक अवसर के तहत 'यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ़ आर्मी फोर्ट ब्रेग' के सैन्यकर्मियों को गहन उर्दू भाषा साहित्य का पाठ्यक्रम प्रदान किया है। आपने भाषा साहित्य की शिक्षण प्रणाली में आधुनिक टेकनॉलोजी का इस्तेमाल कर कई प्रौद्योगिकी सम्बन्धित परियोजनाओं को डिजाइन किया है, जैसे 3डी प्रिंटिंग, ग्रीन स्क्रीन, 360 डिग्री विजुअलाइजेशन लैब प्रेजेंटेशन और वर्चुअल रियलिटी मॉड्यूल्स आदि जिनके ज़रिये यह साबित किया है कि कैसे भाषा साहित्य व संस्कृति की कक्षाओं को कम्प्यूटर विज्ञान, इंजीनियरिंग, ग्राफिक डिजाइनिंग और अन्य स्टेम (STEM) सम्बन्धी विषयों के साथ एकीकृत किया जा सकता है और आधुनिक विद्यार्थियों व शिक्षकों का ध्यान इस स्टेम- संयोजन शिक्षण व अधिग्रहण प्रक्रिया के प्रति आकर्षित किया जा सकता है। आपने हिन्दी से असमिया भाषा में अनुवादित दो पुस्तकें, कुन खन आपुन भूमि और शिशुर श्रेष्ठ गल्प लिखी हैं। असमिया भाषा से अंग्रेज़ी में अनुवादित पुस्तक, ग्रैंडमदर टेल्स की मुख्य सम्पादिका भी रही हैं। आपके द्वारा रचित लेख, आलोचनाएँ, विचार-विमर्श, लघु कथाएँ, यात्रा-वृत्तान्त और कविताएँ विभिन्न राष्ट्रीय व अन्तरराष्ट्रीय समाचार-पत्रों और पत्रिकाओं में प्रकाशित होती आयी हैं। इन दिनों अपने पति और दो पुत्रों के साथ नॉर्थ कौरोलिना के मारीसबिल शहर में रहती हैं।

डॉ. नीलाक्षी फुकन

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